देश का आम बजट 23 जुलाई को पेश होने वाला है। मंगलवार को इस बजट प्रिक्रिया से जुड़ी एक एतिहासिक परंपरा- हलवा सेरेमनी पूरी कर ली गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नॉर्थ ब्लॉक में अपने हाथों से अधिकारियों को हलवा बांटा। हलवा सेरेमनी के बाद बजट डॉक्यूमेंट की प्रिंटिग शुरू होती है और इसी के साथ वित्त मंत्रालय के भीतर कड़े लॉकडाउन की शुरुआत होती है। इस दौरान बजट प्रक्रिया में शामिल किसी भी अधिकारी को संसद में बजट पेश होने तक मंत्रालय परिसर छोड़ने की अनुमति नहीं होती।
बजट (Budget 20204) की हर एक प्रक्रिया के पीछे कोई न कोई एतिहासिक कारण या तथ्य जरूर है। ऐसी एक कहानी वित्त मंत्रालय में लगने वाले इस कड़े लॉकडाउन की भी है। एक सवाल आपके मन में भी आया होगा कि आखिर बजट से पहले इतनी सख्ती और इतने सीक्रेट तरीके से इसकी तैयारी क्यों होती है।
तो इसके पीछे का कारण ये है कि हमारे देश का आम बजट एक नहीं बल्कि दो बार लीक हुआ है! जी हां... तो आइए पहले जानते हैं कब-कब देश का आम बजट लीक हुआ।
पेश होने से पहले ही लीक हो गया था भारत का पहला बजट?
आजाद भारत का पहला बजट (1947-1948) केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। इसे पेश करने से पहले, ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को बजट में लगाए जाने वाले टैक्स में बदलाव के बारे में बता दिया था।
बस फिर क्या था ये जानकारी संसद में बजट पेश होने से पहले छप गई और सबके सामने आ गई। इसके बाद भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद डाल्टन को इस्तीफा देना पड़ा।
दूसरी बार कब लीक हुआ बजट?
तो ये था पहला वाकया जब बजट लीक हुआ, लेकिन इसके दो साल बाद ही 1950 में आम बजट लीक हो गया। 1950 में, केंद्रीय बजट दस्तावेज राष्ट्रपति भवन प्रेस से प्रिंटिंग के दौरान लीक हो गए थे। तब बजट डॉक्यूमेंट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन प्रेस में होती थी।
इस लीक का अंजाम ये हुआ कि उस समय के वित्त मंत्री जॉन मथाई पर शक्तिशाली लोगों के हितों की सेवा करने का आरोप लगाया गया और उन्होंने बजट पेश करने के तुरंत बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। तब ये भी आरोप लगे थे कि पूर्व योजना आयोग पर शक्तिशाली लोगों का कब्जा हो गया है।
347.5 करोड़ रुपए के रेवेन्यू और 337.88 करोड़ रुपए के खर्च के साथ, 1950 का बजट सरप्लस हासिल करने वाला पहला बजट था।
दो बार बदली गई बजट प्रिंटिंग की व्यवस्था
इस लीक को देखते हुए एक बड़ा फैसला ये लिया गया कि बजट प्रिंटिंग का काम राष्ट्रपति भवन से मिंटो रोड पर एक फुलप्रूफ सिक्योरिटी वाली व्यवस्था में ट्रांसफर कर दिया गया।
हालांकि, बाद में 1980 में, बजट प्रिंटिंग का प्रोसेस फिर से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही शुरू हो गया और आज भी इसकी प्रिटिंग इसी बेसमेंट में कड़ी सुरक्षा के बीच होती है।
फोन भी इस्तेमाल नहीं कर सकते अधिकारी
पिछले कुछ सालों में, ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा और गोपनीयता को बनाए रखने पर फोकस के साथ, बजट प्रिटिंग प्रोसेस भी विकसित होता रहा है।
बजट प्रिंटिग कितनी कड़ी सुरक्षा में होती है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बजट बनाने में शामिल अधिकारियों को इस लॉकइन पीरियड के दौरान फोन का इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं है और जब तक वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश नहीं कर देता, तब तक ये अधिकारी वित्त मंत्रालय से बाहर भी नहीं आ सकते।