Budget 2024 : इन बजटों ने बदल दी थीं इकोनॉमी की दिशा, जानिए आइकानिक बजटों के बारे में

Budget 2024 : आजादी के बाद पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश हुआ था। इसे आरके शणमुखम चेट्टी ने पेश किया था। तब इकोनॉमी का आकार छोटा है। आज इंडिया दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी हो गई है। अगले दो साल में इसके 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाने की उम्मीद है। तब यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी

अपडेटेड Dec 28, 2023 पर 6:30 PM
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Budget 2024 : पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने 28 फरवरी 1986 को जो यूनियन बजट पेश किया था, उसे इंडिया में इकोनॉमिक रिफॉर्म्स शुरू करने का श्रेय जाता है। तब सिंह प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में वित्तमंत्री थे।

Budget 2024 : यूनियन बजट ने लंबा सफर तय किया है। आजादी के बाद पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश हुआ था। इसे आरके शणमुखम चेट्टी ने पेश किया था। तब इकोनॉमी का आकार छोटा है। आज इंडिया दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी हो गई है। अगले दो साल में इसके 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाने की उम्मीद है। तब यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी। जैसे-जैसे इकोनॉमी का आकार बढ़ा है, वैसे-वैसे यूनियन बजट भी बढ़ा है। इस दौरान कई बार ऐसे बजट पेश किए गए जिन्होंने इकोनॉमी की दिशा बदलकर रख दी। इंडिया को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बनाने में इन आइकानिक बजटों का बड़ा हाथ है।

इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की शुरुआत करने वाला बजट

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने 28 फरवरी 1986 को जो यूनियन बजट पेश किया था, उसे इंडिया में इकोनॉमिक रिफॉर्म्स शुरू करने का श्रेय जाता है। तब सिंह प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में वित्तमंत्री थे। उन्होंने यूनियन बजट में कॉर्पोरेट टैक्स घटाने का ऐलान किया था। इसे इंस्पेक्टर राज खत्म करने की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा गया था। उन्होंने छोटे उद्यमों की फंड की जरूरत पूरी करने के लिए SIDBI की स्थापना का ऐलान किया था। उन्होंने MODVAT की शुरुआत की थी। इसे इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म्स की दिशा में पहला कदम माना जाता है। इसका मकसद डबल टैक्सेशन के असर को कम करना था।


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इकोनॉमी की दिशा बदलने वाला बजट

इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की दिशा में सबसे बड़े कदम उठाने का श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है। उन्होंने 24 जुलाई, 1991 को बतौर वित्तमंत्री जो यूनियन बजट पेश किया था, उसने इकोनॉमी की दिशा बदल दी। तब इकोनॉमी की सेहत ठीक नहीं थी। देश पर घरेलू और विदेशी कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया था। विदेशी मुद्रा का भंडार बहुत घट गया था। भारत को IMF से 22 करोड़ डॉलर का इमर्जेंसी कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ा था। तब वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने सब्सिडी घटाने की हिम्मत दिखाई। फर्टिलाइजर्स, रसोई गैस और पेट्रोल पर सब्सिडी कम कर दी गई। इससे चीजों की कीमतें बढ़ गईं। लेकिन, सरकार पर दबाव घट गया। उन्होंने म्यूचुअल फंड का दरवाजा प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया। कैपिटल मार्केट के प्रभावी रेगुलेशन के लिए SEBI के अधिकार बढ़ाए।

इकोनॉमी ग्रोथ बढ़ाने वाला ड्रीम बजट

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने 28 फरवरी, 1997 को जो यूनियन बजट पेश किया था, उसे ड्रीम बजट कहा जाता है। तब वह प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार के वित्तमंत्री थे। लेकिन, उन्होंने यूनियन बजट में बड़े ऐलान करने की ताकत दिखाई थी। उन्होंने पर्सनल इनकम टैक्स के रेट को 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया था। कॉर्पोरेट टैक्स के रेट्स में कमी थी। सरचार्ज और रॉयल्टी रेट्स में कमी का ऐलान किया था। उन्होंने विदेशी संस्थागत निवेशकों की कैपिटल मार्केट में निवेश की सीमा बढ़ाई थी। सरकारी कंपनियों में विनिवेश की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया था। कई चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी में बड़ी कटौती की थी। उनके बजट को कितना पंसद किया गया, इसका अंदाजा Sensex में उस दिन आए उछाल से लगाया जा सकता है। बजट पेश होने के दिन सेंसेक्स 6.5 फीसदी चढ़ा था।

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First Published: Dec 28, 2023 6:26 PM

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