Budget 2024 : इनकम टैक्स की नई रीजीम में यूनियन बजट 2023 में बड़े बदलाव हुए थे। सरकार इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है। लेकिन, अब तक इसमें टैक्सपेयर्स ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसका ऐलान यूनियन बजट 2020 में किया गया था। वित्त वर्ष 2020-21 से यह लागू हो गया। यह रीजीम उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो टैक्स सेविंग्स वाले इंस्ट्रूमेंट का फायदा नहीं उठाते हैं। इसमें टैक्स के रेट्स ओल्ड रीजीम के मुकाबले कम हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2023 में कई बदलाव किए थे। उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा न्यू टैक्स रीजीम में देने का ऐलान किया था। साथ ही इस रीजीम में टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ा दी गई थी।
यूनियन बजट 2023 में न्यू टैक्स रीजीम में हुए थे ये बदलाव
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूनियन बजट 2023 में न्यू टैक्स रीजीम के लिए किए गए ऐलान पर्याप्त नहीं हैं। उनका मानना है कि सरकार को होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन का लाभ भी न्यू टैक्स रीजीम में देना चाहिए। इससे इस रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ेगी। इसकी वजह यह है कि नौकरी करने वाले कई लोगों ने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है। वे हर महीने EMI का पेमेंट करते हैं। ओल्ड टैक्स रीजीम में उन्हें होम लोन के इंटरेस्ट रेट पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। इनमें से कई टैक्सपेयर्स टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट में निवेश नहीं करते हैं। अगर न्यू टैक्स रीजीम में होम लोन इंटरेस्ट पर डिडक्शन का लाभ मिलता है तो वे इस रीजीम का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं।
होम लोन के इंटरेस्ट पर सालाना 2 लाख रुपये डिडक्शन की इजाजत
अभी होम लोन के इंटरेस्ट रेट पर इनकम टैक्स के सेक्शन 24बी के तहत इंटरेस्ट पर सालाना 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। इसका मतलब है कि एक वित्त वर्ष में होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर अधिकतम 2 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। अभी यह सुविधा सिर्फ ओल्ड टैक्स रीजीम में मिलती है। इससे होम लोन लेने वाले लोगों की टैक्स लायबिलिटी काफी कम हो जाती है। इसी वजह से कई टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रीजीम में बने रहना फायदेमंद मानते हैं।
न्यू टैक्स रीजीम को अट्रैक्टिव बनाना है जरूरी
अगर इस डिडक्शन का लाभ न्यू टैक्स रीजीम में भी दिया जाए तो कई टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रीजीम का इस्तेमाल कर सकते है। होम लोन के प्रिंसिपल पेमेंट पर भी सालाना 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन की इजाजत है। लेकिन, यह सेक्शन 80सी के तहत मिलता है। इससे टैक्स सेविंग्स में इनवेस्ट करने वाले लोग इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं, क्योंकि सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन की इजाजत है।