Budget 2024 : फाइनेंस मिनिस्टर Nirmala Sitharaman 1 फरवरी, 2024 को लोकसभा में यूनियन बजट पेश करेंगी। लोगों की करीबी नजरें इस बजट पर होंगी। हालांकि, यह अंतरिम बजट होगा। 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद जो नई सरकार बनेगी वह पूर्ण बजट पेश करेगी। बजट में ऐसे कई शब्द या टर्म सुनने को मिलते हैं, जिनका मतलब कई लोग नहीं जानते हैं। इनमें फिस्कल डेफिसिट, डिसइनवेस्टमेंट, जेंडर बजट, कैपिटल गेंस टैक्स जैसे टर्म शामिल हैं। इनका मतलब जानने से वित्तमंत्री के बजट भाषण को समझना आसान हो जाता है। बजट भाषण सहित इससे दूसरे सभी डॉक्युमेंट वित्त मंत्री के बजट पेश करने के बाद www.indiabudget.gov.in पर अपलोड कर दिए जाते हैं। आइए जानते हैं कि यूनियन बजट के सबसे अहम डॉक्युमेंट कौन-कौन से हैं और इनका मतलब कैसे आसानी से समझा जा सकता है।
वित्तमंत्री का बजट भाषण बजट डॉक्युमेंट का एक छोटा हिस्सा होता है। लेकिन यह सबसे जरूरी हिस्सा है। भाषण को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहले हिस्से में अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए वित्तमंत्री की उम्मीदें और रिफॉर्म की दिशा होती है। इसमें किसानों, ग्रामीण इलाकों, हेल्थ, एजुकेशन, स्मॉल और लार्ज बिजनेस, सर्विस सेक्टर, महिलाएं, स्टार्टअप्स, बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल मार्केट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी स्कीमें शामिल होती हैं। वित्तमंत्री अगले वित्त वर्ष के लिए इकोनॉमी से जुड़े कई टारगेट्स का भी ऐलान करती हैं। जैसे विनिवेश का टारगेट और फिक्सल डेफिसिट का टारगेट। वह यह भी बताती हैं कि सरकार बॉन्ड मार्केट से कितने पैसे जुटाएगी। इसका मतलब है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में कितने पैसे उधार लेगी।
बजट भाषण के दूसरे हिस्से में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े ऐलान होते हैं। इनमें इनकम टैक्स स्लैब, कॉर्पोरेट टैक्स, कैपिटल गेंस टैक्स आदि से जुड़े बदलाव शामिल होते हैं। GST से जुड़े बदलाव इसमें शामिल नहीं होते हैं, क्योंकि 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से ऐसे फैसले जीएसटी काउंसिल लेती है। बजट भाषण के दूसरे हिस्से के बाद एनेक्स (Annex) आता है। इसमें अलग-अलग स्कीमों पर होने वाला खर्च और मिनिस्ट्रीज के खर्च के बारे में जानकारी होती है। इसमें टैक्स रेवेन्यू और नॉन-टैक्स रेवेन्यू के साथ ही सरकार के उधारी कार्यक्रम की जानकारी भी होती है।
बजट पर एक नजर (Budget at a Glance)
इसमें अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए तय किए टारगेट शामिल होते हैं। जैसे टैक्स रेवेन्यू, नॉन-टैक्स रेवेन्यू, कैपिटल एक्सपेंडिचर और सरकार के एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंडिचर शामिल हैं। इसमें फिस्कल डेफिसिट का टारगेट भी शामिल होता है। इसके अलावा अगले साल के लिए जीडीपी की ग्रोथ का अनुमान भी होता है। फ्यूल, फर्टिलाइजर्स और फूड सब्सिडी पर अनुमानित खर्च की जानकारी होती है। दो तरह की स्कीमों की जानकारी होती है। सेंट्रल गवर्नमेंट स्कीमों का पूरा खर्च केंद्र सरकार देती है। कुछ ऐसी स्कीमें होती हैं, जिनका खर्च केंद्र और राज्य सराकर मिलकर उठाती हैं।
रेवेन्यू और एक्सपेंडिचर (Revenue and Expenditure)
इन दो डॉक्युमेंट्स में रेवेन्यू के अलग-अलग स्रोतों की जानकारी होती है। साथ ही एक्सपेंडिचर हेड्स के बारे में भी बताया जाता है। रेवेन्यू बजट को कई हिस्सों में बांटा जाता है। इनमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी आदि शामिल हैं। नॉन-टैक्स स्रोतों में डिसइनवेस्टमेंट, प्राइवेटाइजेशन, टेलीकॉम और दूसरे रेवेन्यू आते हैं। एक्सपेंडिचर बजट में हर मंत्रालय के हिसाब से खर्च का ब्रेक-अप होता है। यहां कोई इस बात की जानकारी हासिल कर सकता है कि सरकार किसी चीज पर कितना खर्च करने जा रही है। इनमें डिफेंस एक्विजिशन, मनरेगा, पीएम किसान सम्मान निधि, प्राइमरी एजुकेशन, हेल्थकेयर आदि शामिल हैं।
फाइनेंस बिल (Finance Bill)
बजट भाषण बजट की लंबी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। मनी बिल होने की वजह से इसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है। यहां से पारित होने के बाद इसे राज्यसभा में पारित कराया जाता है। इस दौरान बजट पर दोनों सदनों में व्यापक बहस होती है। आखिर में वित्त मंत्री की तरफ से सभी सवालों के जवाब दिए जाते हैं। सबसे अहम फाइनेंस बिल का पारित होना है। इसमें टैक्स में होने वाले बदलाव के प्रस्ताव शामिल होते हैं। इसमें RBI Act, Companies Act, Banking regulation Act में बदलाव के प्रस्ताव भी शामिल होते हैं। फाइनेंस बिल के पारित होने के बाद बजट को कानूनी दर्जा मिल जाता है।