Union Budget 2024: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पिछले हफ्ते यह साफ कर दिया कि 1 फरवरी, 2024 को आने वाला बजट सिर्फ वोट-ऑन-अकाउंट (Vote on Account) होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि इसमें इकोनॉमी से जुड़े कोई बड़े ऐलान नहीं होंगे। प्रमुख उद्योग चैंबर CII के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि बड़े ऐलान के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण यूनियन बजट के आने तक इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा था कि अगले वित्त वर्ष का पूर्ण बजट (Full Budget) 2024 के जुलाई में आएगा। सवाल है कि सरकार 1 फरवरी, 2024 को क्यों पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश करने जा रही है? आखिर अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में क्या अंतर है? क्या एक साल में सरकार ही वित्त वर्ष के दो बजट पेश कर सकती है? इस तरह के कई सवाल आपके मन में हो सकते हैं। आइए इनका जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
अंतरिम बजट का क्या मतलब है?
सबसे पहले यह जान लेना ठीक रहेगा कि अंतरिम बजट के जरिए सरकार अगले वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के लिए अपने खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करती है। आम तौर पर सरकार अगले वित्त वर्ष के 3-4 महीनों के अपने खर्च के लिए संसद की मंजूरी हासिल करती है। इसलिए अंतरिम बजट को वोट-ऑन-अकाउंट यानी लेखानुदान भी कहा जाता है। अंतरिम बजट में आम तौर पर सरकार इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव के फैसलों का ऐलान नहीं करती है। सरकार किसी बड़ी स्कीम का भी ऐलान नहीं करती है। लेकिन, यह सिर्फ परंपरा है। ऐसा कोई नियम नहीं है। यह परंपरा टूट भी चुकी है। 2019 में सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था। तब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था, क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली इलाज के लिए विदेश गए थे। उन्होंने अंतरिम बजट में इनकम टैक्स से जुड़े कई बड़े ऐलान किए थे। साथ ही उन्होंने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का भी ऐलान किया था।
अंतरिम बजट कब पेश होता है?
सरकार अंतरिम बजट लोकसभा चुनाव वाले साल में पेश करती है। चूंकि अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, जिससे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगी। इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनावों में किसी पार्टी या गठबंधन की जीत होगी, यह पता नहीं होता है। इसलिए नए वित्त वर्ष का पूर्ण बजट पेश करने का काम लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में बनने वाली नई सरकार पर छोड़ दिया जाता है। 2019 में पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। लोकसभा चुनावों में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की जीत हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाई थी। इसके बाद 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट पेश किया था। यह उनका पहला यूनियन बजट था।
पूर्ण बजट का मतलब क्या है?
अंतरिम यूनियन बजट और पूर्ण यूनियन बजट में फर्क यह है कि अंतरिम बजट का मकसद सिर्फ अगले वित्त वर्ष के कुछ महीनों के लिए सरकार के खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करना होता है। इसलिए इसमें आम तौर पर सरकार बड़े ऐलान नहीं करती है। खासकर इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव का ऐलान नहीं करती है। वह ऐसी किसी बड़ी स्कीम का ऐलान नहीं करती है, जिस पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च होने वाले होते हैं। यह काम लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में बनने वाली नई सरकार पर छोड़ दिया जाता है। यह जान लेना भी जरूरी है कि जिस साल लोकसभा चुनाव होने वाले होते हैं, उस साल केंद्र सरकार दो बार यूनियन बजट पेश करती है। इससे पहले 2019 में केंद्र सरकार ने दो बार यूनियन बजट पेश किया था।