बजट पेश होने के छह महीने पहले से उसे तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस दौरान काफी गोपनीयता बरती जाती है। बजट तैयार होने के बाद हलवा सेरेमनी होती है। उसके बाद बजट डॉक्युमेंट्स प्रिंटिंग के लिए चला जाता है। बजट डॉक्युमेंट की प्रिंटिंग नॉर्थ ब्लॉक स्थित सरकारी प्रेस में होती है। पहले बजट डॉक्युमेंट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होती थी। लेकिन, वहां बजट डॉक्युमेंट्स लीक होने के बाद प्रिंटिंग बंद हो गई।
राष्ट्रपति भवन के प्रेस से लीक हुए थे डॉक्युमेंट्स
1950 में राष्ट्रपति भवन के प्रेस में बजट डॉक्युमेंट्स (Budget Documents) लीक हुए थे। तब जॉन मथाई वित्तमंत्री थे। उन पर विपक्ष ने ताकतवर लोगों के हित में काम करने का आरोप लगाया था। इससे बजट पेश करने के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति भवन के प्रेस में बजट डॉक्युमेंट्स लीक होने के बाद प्रिंटिंग का काम सुरक्षित माने जाने वाले मिंटो रोड प्रेस में होने लगा। 1980 में बजट डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग की जगह फिर से बदल गई। इसकी प्रिंटिंग नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट स्थित प्रेस में होने लगी। तब से इसकी प्रिंटिंग वही होती है।
बजट डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग के वक्त 'लॉक-इन' पीरियड लागू होता है
आज भी बजट डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग व्यापक सुरक्षा इंतजाम के बीच होती है। इस दौरान काफी गोपनीयता बरती जाती है। इस पक्रिया से जुड़े अधिकारियों की गतिविधियां सीमित हो जाती हैं। इसे 'लॉक-इन' पीरियड कहा जाता है। इस पीरियड में अधिकारियों का संपर्क बाहरी दुनिया से एक तरह से कट जाता है। उन्हें फोन तक इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती है। वित्तमंत्री के लोकसभा में बजट पेश कर देने के बाद ही उनकी फिर से जिंदगी सामान्य होती है।
बजट काफी हद तक डिजिटल हो चुका है
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पहली बार 2019 में वित्तमंत्री बनी थीं। तब से वह इस पद पर हैं। उन्होंने इस दौरान बजट में कई बदलाव लाए हैं। अब बजट पूरी तरह से डिजिटल हो गया है। लोकसभा के सदस्यों तक को बजट डॉक्युमेंट्स डिजिटल रूप में उपलब्ध होते हैं। वे टैबलेट पर उसे देख सकते हैं। इस वजह से अब पहले के मुकाबले काफी कम डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग की जरूरत पड़ती है।