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यूनियन बजट 2023 : फिस्कल कंसॉलिडेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनुफैक्चरिंग पर होगा वित्त मंत्री का फोकस, HSBC MF के वेणुगोपाल मंघत की राय

यूनियन बजट 2023 : एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के चीफ इकोनॉमिक अफसर (इक्विटी) वेणुगोपाल मंघत का कहना है कि कोरोना की महामारी के दौरान इकोनॉमी को सहारा देने की सरकार की कोशिश का अच्छा असर पड़ा है। इसलिए उम्मीद है कि सरकार यूनियन बजट 2023 में इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बनाए रखेगी

अपडेटेड Jan 16, 2023 पर 3:54 PM
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मंघत ने कहा कि सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने की कोशिश करेगी। इसलिए उम्मीद है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट के लिए 6 फीसदी से कम का टारगेट तय किया जा सकता है।

यूनियन बजट 2023 : सरकार अगले यूनियन बजट (Budget 2023) में इंफ्रास्ट्रक्टर के साथ ही PLI स्कीम, लॉजिस्टिक्स, ग्रामीण विकास और रोजगार के मौके पैदा करने पर अपना फोकस बनाए रखेगी। एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के चीफ इकोनॉमिस्ट अफसर (इक्विटी) वेणुगोपाल मंघत ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि फिस्कल कंसॉलिडेशन इस बजट के लिए काफी अहम होगा। मंघत ने मनीकंट्रोल से बातचीत में यूनियन बजट 2023 के बारे में विस्तार से चर्चा की। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले यह मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट होगा। चुनाव के बाद केंद्र में बनने वाली नई सरकार फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करेगी।

इकोनॉमी में अच्छी रिकवरी

मंघत ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी ने कोरोना की महामारी के बाद अच्छी रिकवरी दिखाई है। इस फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ करीब 7 फीसदी रहने की उम्मीद है। महामारी के दौरान सरकार ने इकोनॉमी को सहारा देने के लिए कई राहत पैकेज दिए। इससे इकोनॉमिक रिकवरी में काफी मदद मिली। हालांकि, फिस्कल डेफिसिट को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार को अपने कुछ खर्च में कमी करनी होगी। इसलिए हमें उम्मीद है कि इस यूनियन बजट के लिए फिस्कल डेफिसिट काफी अहम होगा।


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मैन्युफैक्चरिंग पर जारी रह सकता है फोकस

उन्होंने कहा कि अगले फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद है। हालांकि, ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती का असर इंडियन इकोनॉमी पर थोड़ा पड़ सकता है। इसलिए ग्रोथ और प्रोडक्टिव कैपेसिटी बढ़ाने के उपायों पर सरकार का फोकस बना रहेगा। सरकार ने अब तक यह काम अच्छी तरह से किया है। सरकार ने इंफ्रास्टक्चर और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की पॉलिसी अपनाई है। इसके लिए PLI जैसी स्कीम शुरू की गई हैं। उम्मीद है कि सरकार का यह फोकस अगले फाइनेंशियल ईयर में भी बना रहेगा।

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ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ाने के उपाय हो सकते हैं

रूरल इलाकों में डिमांड बढ़ाने के उपायों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि रूरल सहित कुछ सेगमेंट में पर्याप्त रिकवरी नहीं दिखी है। फर्टिलाइजर की कीमतों में उछाल का असर एग्रीकल्चर सेगमेंट पर पड़ा है। इसलिए हमें उम्मीद है कि सरकार ऐसे सेगमेंट को सपोर्ट के लिए बजट में उपायों का ऐलान करेगी। फाइनेंस मिनिस्टर ने फिस्कल कंसॉलिडेशन को लेकर भी अपना संकल्प जताया है।

फिस्कल डेफिसिट 6 फीसदी से कम रखने की होगी कोशिश

उन्होंने कहा कि सरकार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने की कोशिश करेगी। इसलिए हमें उम्मीद है कि सरकार अगले फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट को 6 फीसदी से कम रखने की कोशिश कर सकती है। इसके लिए फिस्कल डेफिसिट के टारगेट में 0.50 फीसदी की कमी की जा सकती है। हालांकि, जियोपॉलिटकल स्थितियों को देखते हुए यह काम आसान नहीं होगा। क्रूड ऑयल और फर्टिलाइजर्स की कीमतें अब भी ज्यादा बनी हुई है। इसके अलावा ग्लोबल इकोनॉमी पर मंडराते मंदी के खतरे का असर इंडियन इकोनॉमी पर भी पड़ सकता है।

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