Union Budget 2023 : बजट में हुए ये 5 ऐलान तो भागने लगेगा शेयर बाजार, FPIs और DIIs को मिलेगा बूस्ट

Union Budget 2023 : एनएसडीएल डेटा के मुताबिक, 1 जनवरी से 21 जनवरी के बीच एफपीआई भारतीय बाजारों से 15,236 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। वहीं, इससे पिछले महीने में उन्होंने 11,119 करोड़ रुपये की लिवाली की थी। हालांकि, एफपीआई ने 2022 में कुल 1,21,439 करोड़ रुपये की बिकवाली की। वहीं, FII जनवरी में 19,880 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं

अपडेटेड Jan 22, 2023 पर 5:15 PM
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मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रॉफिट बुकिंग के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए

Union Budget 2023 : वर्ष 2023 की शुरुआत से जारी फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPIs) की बिकवाली शेयर बाजार की चिंता बढ़ा रही है। इसकी एक वजह बाहरी जोखिम हैं तो कुछ एक्सपर्ट्स भारतीय बाजारों को महंगा भी बता रहे हैं। हालांकि, अगर बजट 2023 के कुछ ऐलान विदेशी निवेशकों को लुभाने में खासे मददगार हो सकते हैं। यही नहीं, इससे डॉमेस्टिक इंस्टीट्यूशन इनवेस्टर्स (DIIs) की भी घरेलू बाजार में खरीदारी बढ़ सकती है। एनएसडीएल डेटा (NSDL data) के मुताबिक, 1 जनवरी से 21 जनवरी के बीच एफपीआई भारतीय बाजारों से 15,236 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। वहीं, इससे पिछले महीने में उन्होंने 11,119 करोड़ रुपये की लिवाली की थी। हालांकि, एफपीआई ने 2022 में कुल 1,21,439 करोड़ रुपये की बिकवाली की।

एफआईआई ने जनवरी में की कितनी बिकवाली

वहीं फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने जनवरी में बिकवाली की है। 1 से 20 जनवरी के बीच एफआईआई 19,880 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। वहीं पिछले महीने यानी दिसंबर, 2022 में एफआईआई ने 14,231 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। वहीं, 2022 में उन्होंने रिकॉर्ड 2,78,429.52 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।


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जिओजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा, “जनवरी में एफपीआई इनवेस्टमेंट का पिछला ट्रेंड बना हुआ है, जबकि साल की शुरुआत में एफआईआई की सेलिंग चौंकाने वाली है।”

बजट से हैं ये 5 उम्मीदें

-मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बजट में प्रॉफिट बुकिंग के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए।

-एनआरआई के लिए एफपीआई नियम लचीले किए जाएं, जो पूल्ड व्हीकल/ मास्टर फीडर के जरिये निवेश कर रहे हैं। इससे वे हमारी जैसी इमर्जिंग इकोनॉमी के लिए अलोकेशन बढ़ा सकेंगे।

-सीटीटी और एसटीटी लगाए जाने से मार्केट की लिक्विडिटी को झटका लगा है। इससे ट्रांजेक्शन के लिए फीस बढ़ गई है और प्रॉफिटेबिलिटी कम हुई है।

-सेक्शन 88ई के तहत STT/ CTT रिबेट से ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ेगा और सरकार को भी फायदा होगा।

-जरूरी सब्सिडीज के साथ डिफेंस और इंफ्रास्ट्राक्चर में कैपेक्स से घरेलू और विदेशी निवेशों से टेक्नोलॉजी और कैपिटल के रूप में निवेश आएगा।

डिस्क्लेमरः यहां दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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