Union Budget 2023 : हर कोई अपने रिटायरमेंट को आराम से काटना और कम से कम टैक्स का बोझ चाहता है। जिनकी इनकम का सोर्स बड़ा न हो, उनके लिए लिविंग कॉस्ट का प्रबंधन और उसे कंट्रोल में रखना खासा मुश्किल काम होता है। Indian Income Tax Act 60 से 80 साल तक की उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपये और 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपये बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (basic exemption limit) की पेशकश करता है। उनकी इनकम बढ़ने की संभावनाएं खासी कम हैं, लेकिन महंगाई में बढ़ोतरी और विशेषकर कोविड के बाद मेडिकल कॉस्ट बढ़ने से बुजुर्गों की लिविंग कॉस्ट बढ़ती जा रही है। टैक्स और कंप्लायंस के बोझ में कमी इस यूनियन बजट से सीनियर सिटीजंस की प्रमुख डिमांड्स में शामिल हैं। ये हैं प्रमुख डिमांड...
Tax free pension: ज्यादातर केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को पेंशन मिलती है, जिन पर टैक्स लगता है। कुछ सीनियर सिटीजंस भी बीमा कंपनियों या एनपीएस (NPS) द्वारा दी जाने वाली पेंशन स्कीम्स की सदस्यता लेते हैं। इन योजनाओं से प्राप्त पेंशन अन्य सोर्सेज के तहत कर योग्य है। लंबे समय से 10 लाख रुपये की सीमा तक पेंशन को टैक्स फ्री करने की मांग की जाती रही है।
सेक्शन 87ए के तहत टैक्स एग्जम्प्शन टैक्सेबिल इनकम के 5 लाख रुपये के भीतर रहने तक उपलब्ध है और इससे ऊपर टैक्स रेट 20 फीसदी हो जाती है। 60 और 80 साल के बीच की उम्र के सीनियर सिटीजंस को 10,000 रुपये बेसिक टैक्स देना होता है, अगर उनकी इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाती है।
10 लाख रुपये तक इनकम वाले सीनियर सिटीजंस पर कर का बोझ बहुत अधिक माना जाता है और सीनियर सिटीजंस फोरम्स ने 10 लाख रुपये तक की इनकम पर छूट देने की मांग उठाई गई है। वैकल्पिक रूप से 5 से 10 लाख रुपये के बीच की आय के लिए 5 से 10 फीसदी की कम दर से कर का बोझ खासा कम हो सकता है।
अतीत में, कई मौकों पर बजट में सीनियर सिटीजंस को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट देने की घोषणा की गई है। पिछली बार मौजूदा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सेक्शन 194पी के तहत एसेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए ऐसा किया गया था। हालांकि, इसका फायदा ज्यादा लोगों ने नहीं लिया। सुझाव दिया जाता है कि सेक्शन 194पी का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए और इसके प्रोसेस को सरल बनाया जाए, जिससे टैक्सपेयर्स व्यापक रूप से इसे अपना सकें।
बैंक डिपॉजिट्स पर बढ़े क्रेडिट गारंटी
युवा पीढ़ी के विपरीत सीनियर सिटीजंस का बैंक डिपॉजिट पर ज्यादा जोर रहता है। इसके अलावा, बैंक चुकाने में असमर्थ रहने की स्थिति में वे अपनी सेविंग को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि उनके पास इनकम के अतिरिक्त स्रोत नहीं हैं। DICGC योजना के तहत सिर्फ 5 लाख रुपये तक के बैंक डिपॉजिट पर बीमा हासिल है। सरकार को बैंकों में सभी डिपॉजिटर्स और विशेष रूप से सीनियर सिटीजंस के लिए आवश्यक पूंजी सुरक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस लिमिट को बढ़ाना चाहिए।
सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन में बढ़ोतरी और मेडिकल खर्च पर डिडक्शन
वर्तमान में, बीमा नहीं होने की स्थिति में सेक्शन 80डी के तहत सीनियर सिटीजंस को केवल हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और मेडिकल खर्च की लागत में से 50,000 रुपये तक डिडक्शन की अनुमति है। कोविड के बाद, भारत में मेडिकल खर्च व्यय की कॉस्ट में खासी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, अधिकांश पॉलिसी में ओपीडी और अन्य मेडिकल टेस्ट/स्कैन चार्जेस को कवर नहीं किया जाता है। वहीं सीनियर सिटीजंस के मामले में हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भी खासा ज्यादा होता है।
इसलिए, विशेष रूप से महानगरों में 50000 रुपये की धनराशि मेडिकल कॉस्ट/बीमा को कवर करने में सक्षम नहीं है। सेक्शन 80डी की सीमा के भीतर मेडिकल इंश्योरेंस (Medical insurance) प्रीमियम के अलावा चिकित्सा खर्च और इलाज की लागत की अनुमति दी जानी चाहिए और कुल कटौती को बढ़ाकर 1 लाख रुपये प्रत्येक व्यक्ति करने से उन वरिष्ठ नागरिकों को बहुत राहत मिलेगी जो इस समय कर का बोझ उठाने में सक्षम नहीं हैं।
चलिए देखते हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट में सीनियर सिटीजंस के लिए क्या सौगात लेकर आती हैं।
(Abhishek Aneja पेशे से सीए हैं)