मोदी सरकार केंद्र एवं राज्यों के बीच टैक्स के बंटवारे (Centre-state tax devolution beginning) के अनुपात पर सिफारिशों के लिए इस साल 16वें वित्त आयोग (16th Finance Commission) के गठन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। एक अधिकारी ने बताया कि एक अप्रैल, 2026 से अगले पांच साल तक की अवधि में टैक्स के बंटवारे से जुड़े प्रावधान तय करने के लिए 16वें वित्त आयोग का गठन करने की कवायद शुरू हो चुकी है। इस आयोग के सदस्यों एवं उसके क्रियाकलाप के प्रावधानों को तय करने का काम चल रहा है।
वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जो केंद्र एवं राज्यों के वित्तीय संबंधों के बारे में रूपरेखा तैयार करती है और सुझाव देती है। साथ ही इसकी टैक्स विभाजन संबंधी सिफारिशें पांच साल की अवधि के लिए लागू रहती हैं। पीटीआई के मुताबिक, पिछले वित्त आयोग ने 9 नवंबर, 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। उसकी सिफारिशें वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए हैं।
पूर्व नौकरशाह एन के सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने टैक्स डिवलेशन अनुपात (tax devolution ratio) को 42 प्रतिशत पर रखने की बात कही थी। केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था। निर्धारित अवधि में वह राज्य सरकारों को अपने विभाज्य कर पूल से 42 प्रतिशत हिस्सा दे रही है।
पिछले वित्त आयोग ने राजकोषीय घाटे को काबू में करने, केंद्र एवं राज्यों के कर्ज की स्थिति और अतिरिक्त उधारियों के बारे में सिफारिशें दी थीं। इसकी रिकमेन्डेशन के अनुरूप सरकार ने राजकोषीय घाटे को वर्ष 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्रालय ने पिछले दिनों लोकसभा को सूचित किया था कि वह चालू कैलेंडर साल 2023 में 16वें वित्त आयोग का गठन करने जा रहा है। वित्त आयोग का गठन अगले 5 साल के लिए होगा। अंबेडकर नगर के सांसद ऋतेष पांडेय के सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसकी जानकारी दी दी।
चौधरी ने कहा था, ‘संविधान के आर्टिकल 280 के मुताबिक इसका कार्यक्षेत्र व अन्य शर्तें होंगी।’ चौधरी ने उत्तर और दक्षिण भारत में टैक्स के विभाजन को लेकर मतभेद के मसले पर कोई जवाब नहीं दिया। वित्त मंत्रालय ने अपने वित्त वर्ष 24 के बजट में 16वें वित्त आयोग से जुड़े कार्यालय बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये का शुरुआती आवंटन किया था।