नियमों के विपरीत नोएडा के ट्विन टॉवर (Twin Towers) को ढहाए जाने के बाद अब इसकी जमीन को लेकर विवाद शुरू हो गया, जिस पर यह खड़ी थी। ये दोनों टॉवर नोएडा के सेक्टर 93ए के टॉवर एमेराल्ड कोर्ट (Emerald Court) सोसायटी में थे। ट्विन टॉवर्स प्रोजेक्ट की जमीन को रीयल एस्टेट फर्म सुपरटेक (Supertech) ने नोएडा अथॉरिटी से वर्ष 2004 और 2006 में लिया था। अब ट्विन टॉवर्स को ढहा दिया गया है और मलबे को हटाया जा रहा है तो सभी की निगाहें इसकी 8 हजार वर्ग मीटर जमीन पर है कि यह किसके पास जाएगी।
Supertech का जमीन पर है दावा
सुपरटेक के चेयरमैन और एमडी आरके अरोड़ा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि इस जमीन पर नोएडा अथॉरिटी की मंजूरी के बाद इस पर एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसके अलावा एमेराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) की भी सहमति ली जाएगी। कंपनी के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल से कहा कि जमीन सुपरटेक की है और जो भी दिक्कतें थी, वह टॉवर की ऊंचाई और इसे लेकर आस-पास रहने वाले लोगों की सहमति को लेकर थी, जमीन के मालिकाना हक को लेकर नहीं। प्रवक्ता के मुताबिक नोएडा अथॉरिटी को जमीन के लिए 25 करोड़ रुपये दिए थे और प्रोजेक्ट के लिए भी 25 करोड़।
रेजिडेंट्स सुपरटेक का कर रहे विरोध
वहीं दूसरी तरफ एमेराल्ड कोर्ड आरडब्ल्यूए के प्रमुख यूबीएस तियोतिया का कहना है कि यह जमीन एमेरोल्ड कोर्ड सोसायटी की है और सुपरटेक को अब इस पर किसी भी निर्माण के लिए सहमति नहीं दी जाएगी। तियोतिया के मुताबिक यहां पर एक बगीचा और एक छोटा मंदिर बनाने पर विचार हो रहा है लेकिन किसी भी बात को लेकर भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। तियोतिया के मुताबिक रेजिडेंट्स और आरडब्ल्यूए की बैठक के बाद ही लिया जाएगा।
जमीन पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग
एमेराल्ड कोर्ड आरडब्ल्यू सेक्रेटरी के पूर्व सचिव अजय गोयल का कहना है कि सुपरटेक इस जमीन पर अपना दावा कर रही है तो अब सबसे पहले इसके मालिकाना हक को स्पष्ट किया जाना चाहिए। गोयल ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी, अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट को जमीन के मालिकाना हक को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। जमीन ग्रीन एरिया का हिस्सा है और सोसायटी से जुड़ा हुआ है।
गोयल ने जमीन पर सुपरटेक के दावे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि टॉवर्स ढहाए जाने से पहले जब सोसायटी में किसी रिपेयरिंग की बात आती थी तो सुपरटेक यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता था कि सोसायटी को अब आरडब्ल्यूए के हवाले कर दिया गया है और अब रिपेयरिंग की जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए की है। ऐसे में गोयल ने सवाल उठाया है कि यह जमीन सुपरटेक की कैसे हो सकती है।
नोएडा अथॉरिटी का क्या कहना है?
ग्रीन एरिया या खुले इलाके से जुड़े नियम की व्याख्या करते हुए नोएडा अथॉरिटी के एक अधिकारी ने कहा कि अगर कोई डेवलपर 1 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कोई निर्माण करता है तो वहां कम से कम 300 वर्गमीटर ग्रीन एरिया या खुले क्षेत्र के रूप में छोड़ना होता है। अधिकारी ने कहा कि सभी पक्षों की सहमति के बाद यहां मंदिर या आवासीय निर्माण को मंजूरी दी जा सकती है। हालांकि अधिकारी ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।