सरकार रसोई गैस (LPG) की बिक्री पर होने वाले घाटे की भरपाई के लिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) को मुआवजा देने की योजना बना रही है। यह मुआवजा पेट्रोल और डीजल पर हाल ही में बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी से मिली राशि से दिया जाएगा। इस बारे में जानकारी रखने वाले दो सरकारी सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह मुआवजा कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया के जरिए दिया जाएगा। आमतौर पर, पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाई गई एक्साइज ड्यूटी को सामान्य रेवेन्यू उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन खास परिस्थितियों में सरकार इसका एक हिस्सा उपभोक्ताओं को राहत देने वाली OMCs की सहायता में भी खर्च कर सकती है।
उन्होंने कहा, "यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, अब केवल यह तय करना है कि वास्तव में कंपनियों को कितना घाटा हुआ। ऑयल कंपनियां भी सरकार का ही हिस्सा हैं, उन्हें अकेले नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। मुआवजा जल्द ही दिया जाएगा।"
मार्च और मई में हुई थी अहम बैठकें
वित्त मंत्रालय की एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमिटी (EFC) की इस संबंध में मार्च और मई में दो बैठकें हुई थीं। इन बैठकों के दौरान OMCs के घाटे की समीक्षा की गई थी। सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, जिससे यह अतिरिक्त रेवेन्यू मिला।
ऑयल मार्केट कंपनियों को अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में फ्यूल की कीमतों में उछाल के चलते एलपीजी की बिक्री पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। सरकार ने इस दौरान एलपीजी सिलेंडरों के दाम को स्थिर रखा था, जिसके चलते यह नुकसान हुआ। इसके बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से बजट 2025 से पहले मुआवजे की मांग की थी।
पहले भी दिया गया था मुआवजा
यह पहली बार नहीं है जब सरकार घाटे की भरपाई कर रही है। अक्टूबर 2022 में, सरकार ने FY22 के लिए ₹22,000 करोड़ का एकमुश्त मुआवजा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) को दिया था। उस वक्त इन कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के बावजूद एलपीजी की कीमतों को स्थिर रखा था।
कंपनियों को मिलेगी खर्च की आजादी
एक अधिकारी ने बताया कि मुआवजे का इस्तेमाल OMCs अपने घाटे की भरपाई या इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास दोनों में कर सकेंगी। ऑयल मिनिस्ट्री और फाइनेंस मिनिस्ट्री मिलकर इस बात का मूल्यांकन कर रहे हैं कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) को कितना घाटा हुआ है और उन्हें कितना मुआवजा मिलना चाहिए।
ग्लोबल अस्थिरता से बढ़ा दबाव
रूस-यूक्रेन जंग और ग्लोबल एनर्जी कीमतों में उछाल के कारण हाल के सालों में OMCs पर भारी दबाव रहा है। इनपुट लागत में भारी इजाफे के बावजूद घरेलू एलपीजी की कीमतें लंबे समय तक स्थिर रखी गईं, जिससे कंपनियों को भारी नुकसान हुआ।
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