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फिर SEBI के रडार पर संजय डालमिया, Golden Tobacco Case में बड़ा एक्शन, शेयर मार्केट में एंट्री पर बैन

SEBI action in Golden Tobacco Case: सेबी ने गोल्डन टोबैको केस में सख्त फैसला सुनाया है। गोल्डन टोबैको लिमिटेड (GTL) से जुड़े मामले में जीटीएल के प्रमोटर संजय डालमिया समेत कुछ अन्य लोगों की सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री पर बैन लगा दिया है और साथ ही जुर्माना भी लगाया है। जानिए पूरा मामला क्या है और इससे पहले संजय डालमिया पर कब कार्रवाई हुई थी?

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Sep 01, 2025 पर 2:00 PM
फिर SEBI के रडार पर संजय डालमिया, Golden Tobacco Case में बड़ा एक्शन, शेयर मार्केट में एंट्री पर बैन
SEBI action in Golden Tobacco Case: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गोल्डन टोबैको लिमिटेड (GTL) से जुड़े मामले में एक नया आदेश पारित किया है।

SEBI action in Golden Tobacco Case: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गोल्डन टोबैको लिमिटेड (GTL) से जुड़े मामले में एक नया आदेश पारित किया है। यह आदेश वर्षों से पैसों के गलत इस्तेमाल और वित्तीय खुलासों में हेराफेरी से जुड़े मामले में आया है। इस आदेश के तहत सेबी ने जीटीएल के प्रमोटर संजय डालमिया को दो साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा PFUTP (प्रॉहिबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज) रेगुलेशंस और LODR (लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) रेगुलेशंस के तहत ₹30 लाख का जुर्माना लगाया है। यह आदेश कंपनी और इसके प्रमुख अधिकारियों की तरफ से एसेट्स की हेराफेरी, गलत जानकारी देने और खुलासों में चूक के आरोपों की विस्तृत जांच के बाद शुक्रवार को जारी हुआ था।

संजय डालमिया के अलावा इसके और प्रमोटर और डायरेक्टर अनुराग डालमिया की भी सिक्योरिटीज मार्केट में डेढ़ साल तक एंट्री पर बैन लग गया है और ₹20 लाख का जुर्माना लगा है। इसके अलावा जीटीएल के पूर्व निदेशक अशोक कुमार जोशी को एक साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से बैन किया गया है और ₹10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। सेबी ने इससे पहले भी अनुराग डालमिया, संजय डालमिया के खिलाफ 25 अक्टूबर 2013 और अन्य के खिलाफ 14 फरवरी 2014 को आदेश पारित किया था।

क्या है Golden Tobacco Case?

सेबी के आदेश के मुताबिक जीटीएल ने वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2015 के दौरान अपनी सहायक कंपनी जीआरआईएल को लोन और एडवांस के रूप में में ₹175.17 करोड़ दिए और अपनी सालाना रिपोर्टों में इसे बकाया दिखाया है। सेबी का आरोप है कि इसमें से सिर्फ ₹36 करोड़ ही वापस आए और बाकी फंड्स जीआरआईएल से प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों को भेज दिया गया। सेबी का आरोप है कि जीटीएल के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स शेयरहोल्डर्स को बिना बताए कंपनी की अहम जमीनों को लेकर सौदे किए। इसके तहत जमीन को किसी तीसरे पक्ष को बिक्री पर देना या पट्टे पर देने की बात थी जोकि या तो कंपनी के लिए पूरी तरह से फायदे की बात नहीं थी या स्टॉक एक्सचेंजों को भी पारदर्शी तरीके से नहीं बताई गई।

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