दिग्गज हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी (HDFC) पढ़ाई-लिखाई के लिए कर्ज देने वाली अपनी इकाई एचडीएफसी क्रेडिला (HDFC Credila) की करीब 90 हिस्सेदारी बेचने वाली है। इसके लिए एचडीएफसी ने प्राइवेट इक्विटी फर्मों BPEA EQT और क्रिसकैपिटल (ChrysCapital) के कंसोर्टियम के साथ सौदा किया है। हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ने इसके लिए डेफिनेटिव डॉक्यूमेंट्स पर साइन कर दिया है। यह सौदा करीब 9060 करोड़ रुपये का है। मॉर्गेंज लेडर एचडीएफसी ने इसकी जानकारी एक्सचेंज फाइलिंग में दी। इस सौदे को अभी आरबीआई और कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) समेत अन्य संस्थाओं से नियामकीय मंजूरी लेने की जरूरत पड़ेगी।
सौदे के बाद HDFC के पास रहेगा ये अधिकार
सौदे के बाद एचडीएफसी की एचडीएफसी क्रेडिला में 10 फीसदी से कम हिस्सेदारी रह जाएगी और फिर यह इसकी सब्सिडियरी नहीं रहेगी। हालांकि डील की शर्तों के बाद एचडीएफसी के पास एचडीएफसी क्रेडिला के बोर्ड में एक नॉन-एग्जेक्यूटिव नॉमिनी डायरेक्टर को नॉमिनेट करने का अधिकार रहेगा। इसके अलावा मॉर्गेज लेंडर के पास शेयरहोल्डर्स एग्रीमेंट के तहत कस्टमरी प्री-एंप्टिव राइट्स होंगे।
इस राइट के तहत अगर एचडीएफसी क्रेडिला नए शेयर जारी करती है तो एचडीएफसी के पास इसमें अपनी आनुपातिक हिस्सेदारी बनाए रखने का मौका रहेगा। इसका मतलब हुआ कि अगर एचडीएफसी क्रेडिला नए शेयर जारी करती है तो एचडीएफसी को इसे पहले खरीदने का मौका मिलेगा और इसके बाद ही इसे थर्ड पार्टी को ऑफर किया जाएगा।
क्यों बेचने पड़ रही है HDFC Credila में हिस्सेदारी
एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी का विलय होना है। अप्रैल में बैंकिंग रेगुलेटर ने एचडीएफसी को निर्देश दिया था कि यह नए ग्राहकों को जोड़े बिना एचडीएफसी क्रेडिला में अफनी हिस्सेदारी घटाकर 10 फीसदी तक लेकर आए। इसके लिए दो साल का समय दिया गया था। एचडीएफसी क्रेडिला 2006 में बनी थी और सिर्फ पढ़ाई-लिखाई के लिए लोन देने वाली यह देश की पहले एजुकेशन लोन कंपनी है।