चंदा कोचर की फैमिली ने कैसे वेणुगोपाल धूत की मदद से बनाया रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी NuPower, जानें डिटेल
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) से जुड़े 3,250 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले के केंद्र में NuPower Renewables नाम की एक कंपनी है। कोचर और धूत परिवार इ़स कंपनी की शुरुआत से ही साथ में जुड़े थे
ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) से जुड़े 3,250 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले के केंद्र में एक रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है, जिसका नाम नूपॉवर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NuPower Renewables Private Ltd) है। इस कंपनी की स्थापना 18 दिसंबर 2008 को हुई थी और इसके 7 शेयरधारक थे। कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के मुताबिक, इन 7 शेयरधारकों में वीडियोकॉन के बॉस वेणुगोपाल धूत, सौरभ धूत (वेणुगोपाल धूत के भाई प्रदीप कुमार धूत के बेटे), राजकुमार धूत (वेणुगोपाल धूत के भाई), महेश चंद्र पुंगलिया (वीडियोकॉन के एक पूर्व कर्मचारी), दीपक कोचर (ICICI बैंक की पूर्व बॉस चंदा कोचर के पति), सुरेश हेगड़े (वीडियोकॉन के पूर्व फाइनेंस डायरेक्टर) और पैसिफिक कैपिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे। मनीकंट्रोल ने इन मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन को देखा है।
दूसरे शब्दों में कहें तो, नूपॉवर को कोचर और धूत फैमिली ने एक बराबर पार्टनरशिप में शुरू किया गया था। वेणुगोपाल धूत ने कई मौकों पर कोचर परिवार के साथ अपने रिश्ते और किसी भी गलत काम से इनकार किया है। कोचर दंपत्ति ने भी 3,250 करोड़ रुपये के कथित लोन घोटाले में किसी तरह के गलत काम से इनकार किया है। हालांकि जांच एजेंसी को मिले सबूत कुछ और ही कह रहे हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने बीते 24 दिसंबर को चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। दो दिन बाद, एजेंसी ने वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया, जिन्होंने कथित तौर पर कोचर परिवार के साथ लोन के बदले उनकी कंपनी में निवेश का सौदा किया था। CBI के मुताबिक, ICICI बैंक से लिए गए कर्ज के बदले में धूत ने दीपक कोचर की रिन्यूएबल पावर कंपनी में निवेश किया था।
इस कंपनी की स्थापना 1999 में हुई थी और कोचर परिवार के सदस्य इसके शेयरधारक थे। 15 नवंबर 1999 के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार, पैसिफिक कैपिटल की स्थापना एक इनवेस्टमेंट कंपनी के तौर पर हुई थी, जिसके दो शेयरधारक थे- 15 नवंबर 1999 के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के अनुसार, पैसिफिक कैपिटल। दोनों का कंपनी में बराबर शेयर था। वीरेंद्र कुमार कोचर और विनोदिनी कोचर, दीपक कोचर के माता-पिता हैं।
संक्षेप में, कहें तो कोचर परिवार अपनी एक फैमिली होल्डिंग कंपनी और दीपक कोचर की प्रत्यक्ष शेयरहोल्डिंग के जरिए नूपॉवर को कंट्रोल करता था। वहीं कंपनी की बाकी आधी हिस्सेदारी को धूत परिवार अपने 3 सदस्यों (वेणुगोपाल, राजकुमार और सौरभ) और कंपनी के दो पूर्व कर्मचारियों के जरिए नियंत्रित करता था।
कोचर और धूत परिवार संयुक्त रूप से नूपॉवर चला रहे थे। ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप की कई कंपनियों को लोन मंजूर किए।
नए नाम
2015 में पैसिफिक कैपिटल की शेयरहोल्डिंग में बदलाव हुआ।
कंपनी की बहुसंख्यक हिस्सेदारी चंदा कोचर के भाई महेश आडवाणी की पत्नी नीलम महेश आडवाणी के पास चली गई। वहीं एक और नया शेयरधारक आया-शरद शंकर म्हात्रे, कोचर फैमिली की अन्य कंपनियों में डायरेक्टर थे।
बाद में इसकी शेयरहोल्डिंग में फिर बदलाव हुआ और कई नए नाम जुड़े। Icra Ratings की तरफ से 17 सितंबर, 2020 को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, NuPower के नए शेयरधारकों में DH Renewables Holding Limited शामिल है, जिसके पास पिनाकल एनर्जी (Pinnacle Energy) में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। पिनाकल एनर्जी के मैनेजिंग ट्रस्टी दीपक कोचर हैं, जिनकी पास 33.17 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (जिसके पास 10.10 प्रतिशत हिस्सेदारी थी) नाम एक अन्य शेयरधारक का नाम भी आया, जिसके मालिक धूत थे। इस मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, DH रिन्यूएबल्स पहले माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में नूपॉवर में आई, लेकिन समय के साथ कुछ मौजूदा निवेशकों की तरफ से प्रीमियम पर अपनी हिस्सेदारी बेच जाने के बाद वह बहुमत शेयरधारक बन गया।
DH रिन्यूएबल्स, Accion Diversified Strategies Fund SPC की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनी है, जिसका गठन केमैन आइलैंड्स में हुआ था और इसका मुख्यालय सिंगापुर में है। व्हिसलब्लोअर अरविंद गुप्ता के मुताबिक दिसंबर 2010 और मार्च 2012 अवधि के दौरान, NuPower को कंपल्सरी कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर (CCPS) के रूप में मॉरीशस स्थित एक कंपनी फर्स्टलैंड होल्डिंग्स लिमिटेड से 325 करोड़ रुपये की बड़ी विदेशी फंडिंग मिली थी।
गुप्ता ने अपने लेटर में यह कहा कि दिसंबर 2014 में DH रिन्यूएबल्स की ओर से 66 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी दी गई थी।
कोचर परिवार और धूत परिवार के रिश्ते को आप इस चार्ट की मदद से भी समझ सकते हैं-
NuPower के गठन का समय
नूपॉवर रिन्यूएबल्स के गठन का समय काफी अहम है क्योंकि वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को 2008 से 2012 के बीच ICICI बैंक से लोन मिला था। जिन कंपनियों को लोन मिला, उनमें ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, सेंचुरी एप्लायंसेज लिमिटेड, कैल लिमिटेड, वैल्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इवांस फ्रेजर एंड कंपनी इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
अरविंद गुप्ता की ओर से अधिकारियों को भेजे गए लेटर के मुताबिक, इन सभी पांचों को कंपनियों को 30 अप्रैल, 2012 को लोन मंजूर किए थे और सभी लोन की राशि 650 करोड़ रुपये थी, जो कुल मिलाकर 3,250 करोड़ रुपये आती है। बाद में इन लोन को एक कंसोर्टियम लोन में बदल दिया गया।
लोन के समय इनमें से कुछ कंपनियों की वित्तीय सेहत काफी कमजोर थी। उदाहरण के लिए, वीडियोकॉन ग्रुप की 5 कंपनियों में से एक, इवांस फ्रेजर एंड कंपनी इंडिया लिमिटेड की 2011 में कुल बिक्री सिर्फ 75 करोड़ और शुद्ध मुनाफा 94 लाख था। वहीं इसके पिछले कंपनी ने 59.2 करोड़ रुपये की कुल बिक्री और 6.4 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था। जबकि इवांस फ्रेजर को 650 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया गया था, जो इसकी कुल बिक्री का करीब नौ गुना अधिक था।
कर्ज में डूबे और वित्तीय संकट से जूझ रहे वीडियोकॉन ग्रुप के लिए ICICI बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का लोन एक बड़ी राहत था।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के अन्य सीनियर अधिकारियों के साथ इन लोन को मंजूरी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच में पाया गया कि कोचर को नूपॉवर रिन्यूएबल्स के बारे में पता था, लेकिन फिर भी उन्होंने वीडियोकॉन क्रेडिट कमेटी का हिस्सा बनना चुना। CBI ने कोचर पर धोखाधड़ी और आधिकारिक पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
लोन मंजूर किए जाने के बाद वीडियोकॉन बॉस ने फर्म में 64 करोड़ रुपये डाले और अंत में अपनी पूरी हिस्सेदारी दीपक कोचर के परिवार को ट्रांसफर कर दी, जैसा कि ऊपर बताया गया है। CBI की एक विशेष अदालत ने 28 दिसंबर को लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत की हिरासत अवधि 29 दिसंबर तक बढ़ा दी।