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ग्लोबल मंदी आने का बढ़ गया है खतरा, सभी देशों को जल्द करने होंगे ठोस उपाय: IMF चीफ

IMF चीफ ने चेतावनी दी कि अगर नीति-निर्माताओं ने कोई ठोस उपाय नहीं किए तो IMF को अगले साल के इकोनॉमी ग्रोथ के पूर्वानुमानों को घटाना पड़ सकता है

अपडेटेड Oct 06, 2022 पर 9:38 PM
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IMF चीफ ने कहा कि हम ग्लोबल इकोनॉमी में एक फंडामेंटल बदलाव का अनुभव कर रहे हैं

Global Recession: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने गुरुवार को कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी को हाल में लगातार कई बड़े झटके लगे हैं, जिससे दुनियाभर में मंदी आने का खतरा काफी बढ़ गया है। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया भर के नीति-निर्माताओं से इस 'खतरनाक नई हकीकत' से बचने के लिए ठोस उपाय करने की अपील की।

IMF की अगले हफ्ते होने वाली सालाना बैठक से पहले जॉर्जीवा ने एक बयान में कहा, "ग्लोबल इकोनॉमी को स्थिर करना जरूरी है। इसके लिए हमें महंगाई जैसी हमारे सामने खड़ी तत्काल चुनौतियों से निपटना होगा।"

लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह प्रक्रिया दर्दनाक हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय बैंक महंगाई को रोकने के लिए काफी आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना जारी रखते हैं, तो यह "लंबे समय तक" आर्थिक मंदी का कारण बन सकता है।


क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी इस समय कोरोना महामारी, यूक्रेन पर रूस के आक्रामण और जलवायु परिवर्तन के बदलावों जैसी चुनौतियों से जूझ रही है और इस बीच दुनिया भर के देशों के कई गुटों में बटंने से इन चुनौतियों से पार पाना और मुश्किल होता जा रहा है।

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जॉर्जीवा ने चेतावनी दी कि अगर नीति-निर्माताओं ने कोई ठोस उपाय नहीं किए तो IMF को अगले साल के इकोनॉमी ग्रोथ के पूर्वानुमानों में कटौती करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा, "हम ग्लोबल इकोनॉमी में एक फंडामेंटल बदलाव का अनुभव कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि पहले ग्लोबल लेवल पर आर्थिक मुद्दों पर सहयोगा, कम ब्याज दरों और महंगाई को एक दायरे में बनाए रखने को लेकर सहयोग और एक ढांचा था। लेकिन दुनिया अब इसकी जगह आर्थिक नाजुकता की तरफ बढ़ रही है।

इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में ग्लोबल इकोनॉमी में अधिक अनिश्चितता, अधिक आर्थिक उतारचढ़ाव, भूराजनैतिक तनाव और यहां तक कि प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। यह एक ऐसी दुनिया होगी जिसमें किसी भी देश को अधिक आसानी से और अधिक बार अलग-थलग किया जा सकता है।"

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