इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने अनुमान लगाया है कि मौजूदा वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) क्रमशः 6.8 फीसदी और 6.1 फीसदी रहेगी। IMF ने कहा कि क्रूड ऑयल की कीमतें ऊंची बनी रहने, कमजोर बाहरी मांग और सख्त वित्तीय स्थितियों के चलते का असर ग्रोथ पर देखने को मिल सकता है। साथ ही IMF ने अगले 2 सालों के दौरान भारत में महंगाई के धीरे-धीरे नरम होने का अनुमान जताया है। साथ ही IMF ने कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक वेरिएंट के ऊभार को लेकर भी सतर्क किया और कहा कि इससे व्यापार और ग्रोथ अधिक प्रभावित हो सकता है।
IMF में इंडिया मिशन की हेड शोएरी नाडा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि एक निराशाजनक ग्लोबल इकोनॉमी परिस्थिति में भी भारत चमकदार स्थान बना हुआ है।
IMF ने भारत के लिए अपनी एनुअल कंसल्टेशन रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "हम देख रहे हैं कि भारतीय इकोनॉमी मौजूदा वित्त वर्ष में काफी मजबूती से आगे बढ़ रही है।" इस रिपोर्ट के मुताबिक कम अनुकूल परिस्थितियों और सख्त वित्तीय स्थितियों के चलते ग्रोथ रेट के मध्यम रहने का अनुमान है।
भारत पर IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल जीडीपी (Real GDP) के वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
नाडा ने कहा कि ये अनुमान पहले की तुलना में काफी बेहतर हैं। उन्होंने कहा, "हमारे अनुमानों के मुताबिक भारत इस साल और अगले साल ग्लोबल ग्रोथ में आधा प्रतिशत योगदान देगा।"
भारत के संबंध में जोखिम के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि जोखिम ज्यादातर बाहरी कारकों से आ रहे हैं और वैश्विक मंदी अनुमान से अधिक हो सकती है।