लीलावती मेडिकल ट्रस्ट और HDFC Bank के बीच चल रहा पूरा मामला आखिर क्या है?

लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट और एचडीएफसी बैंक के बीच की कानूनी लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एचडीएफसी बैंक के सीईओ शशिधर जगदीशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जगदीशन ने यह याचिका खुद के खिलाफ फाइल की गई FIR को निरस्त करने के लिए फाइल की थी

अपडेटेड Jul 10, 2025 पर 6:31 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा कि जब इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई होने वाली है तब उसका इस मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट और एचडीएफसी बैंक मामले में शशिधर जगदीशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जगदीशन एचडीएफसी बैंक के सीईओ और एमडी हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से खुद के खिलाफ फाइल की गई एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई होने वाली है तब उसका इस मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं होगा। यह पूरा मामला क्या है?

मेहता फैमिली ने लोन पर किया डिफॉल्ट

HDFC Bank ने 8 जून को बताया था कि मेहता फैमिली के मालिकाना हक वाली कंपनी Splendour Gems ने एचडीएफसी और कुछ दूसरे बैंकों की तरफ से 1995 में दिए गए लोन पर डिफॉल्ट किया है। 31 मार्च, 2025 को इंटरेस्ट मिलाकर इस कंपनी पर 65.22 करोड़ रुपये बकाया था। इस मामले में डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल ने 2004 में ही रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। इसके बावजूद मेहता फैमिली ने लोन का पैसा नहीं चुकाया।


मेहता परिवार ने लोन चुकाने की जगह कानूनी कदम उठाया

एचडीएफसी बैंक ने यह भी कहा है कि स्प्लेंडर जेम्स दूसरे बैंकों और संस्थाओं से भी लोन लेती रही है। एचडीएफसी बैंक ने कहा है कि लोन चुकाने की जगह मेहता फैमिली ने एचडीएफसी बैंक और इसके सीनियर अफसरों के खिलाफ कई कानूनी कदम उठाए हैं और शिकायतें की हैं।

ट्रस्ट के दो धड़ों के बीच की लड़ाई में फंसे जगदीशन

उधर, ट्रस्ट ने जगदीशन और 8 अन्य लोगों पर फ्रॉड और ट्रस्ट के फंड में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। ट्रस्ट का यह भी आरोप है कि जगदीशन ने ट्रस्ट पर अवैध कब्जा करने में मदद करने के लिए चेतन मेहता से जुड़े ग्रुप से 2.05 करोड़ रुपये का घूस लिया था। उसने यह भी कहा है कि इस घूस के बारे में एक डायरी में लिखा हुआ है, जिसे जब्त किया गया है। लीलावती ट्रस्ट ने यह भी कहा है कि जगदीशन ने बोर्ड के रिजॉल्यूशन के बगैर, ट्रस्टी की इजाजत के बगैर और प्रॉपर ओवरसाइट के बगैर ट्रस्ट के 25 करोड़ रुपये के फंड को एचडीएफसी बैंक में जमा कराए।

एचडीएफसी बैंक पर घूस देने के आरोप

लीलावती ट्रस्ट का यह भी आरोप है कि एचडीएफसी बैंक ने 1.5 करोड़ रुपये हॉस्पिटल के स्टाफ को सीएसआर के तहत बतौर डोनेशन बांट दिए। लेकिन यह दरअसल एक तरह से घूस था, जिसे गलत जानकारियों को छुपाने के लिए दिया गया था। यह दावा मीडिया रिपोर्ट्स में किया गया है। ट्रस्ट की शिकायत पर 29 मई को मजिस्ट्रेट ने बांद्रा पुलिस को कई सेक्शंस में केस दर्ज करने और मामले की जांच करने का आदेश दिया। पुलिस ने 31 मई को एफआईआर फाइल कर दी।

ट्रस्ट मामले की जांच सीबीआई से कराना चाहता है

एचडीएफसी बैंक ने 8 जून को एक रिलीज जारी की। इसमें कहा गया कि बैंक एक बार फिर पूरी तरह से उसके ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज करता है। उसने आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रस्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर घूस के इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट के कम से कम तीन जजों ने जगदीशन की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया। जगदीशन ने ट्रस्ट की तरफ से फाइल की गई एफआईआर को खारिज करने की मांग कोर्ट से की थी।

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सुप्रीम कोर्ट फिलहाल मामले में हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं

शशिधर जगदीशन ने 3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिक दाखिल कर उनके खिलाफ फाइल की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई को जगदीशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जजों का यह मानना था कि जब इस मामले में 14 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है तब उनका इसमें हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है। हालांकि, जगदीशन ने यह दलील दी थी कि बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन जजों ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है जिससे इस मामले के निपटारे में देर हो रही है।

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