बिजनेस की ग्रोथ के लिए इन सरकारी स्कीमों का फायदा उठा सकते हैं MSME
माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) इंडियन इकोनॉमी की रीढ़ हैं। इनका जीडीपी में एक-तिहाई योगदान है। ये 12 करोड़ रोजगार के मौके पैदा करते हैं। इसलिए सरकार ने एसएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीमें पेश की हैं। इनमें से कई ऐसी स्कीमें हैं, जिनके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है
माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम एक स्पेशल स्कीम है, जिसका फायदा माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज उठा सकते हैं। इस स्कीम के तहत 5 करोड़ रुपये तक का लोन मिलता है। सरकार 75 से 85 फीसदी लोन पर क्रेडिट गारंटी देती है।
माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) इंडियन इकोनॉमी की रीढ़ हैं। इनका जीडीपी में एक-तिहाई योगदान है। ये 12 करोड़ रोजगार के मौके पैदा करते हैं। इसलिए सरकार ने एसएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीमें पेश की हैं। इनमें से कई ऐसी स्कीमें हैं, जिनके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है। आइए यहां एमएसएमई के लिए सरकार की स्कीमों के बारे में जानते हैं।
माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम
यह लोन की एक स्पेशल स्कीम है, जिसका फायदा माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज उठा सकते हैं। इस स्कीम के तहत 5 करोड़ रुपये तक का लोन मिलता है। सरकार 75 से 85 फीसदी लोन पर क्रेडिट गारंटी देती है। इससे एंटरप्राइजेज को बगैर किसी थर्ड पार्टी गारंटी के लोन मिल जाता है। मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग और सर्विसेज से जुड़ी कई गतिविधियों को लिए यह लोन लिया जा सकता है। लोन का इंटरेस्ट रेट RBI की गाइडलाइंस के आधार पर तय होता है। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आवेदक का उड़ान पोर्टल (https://www.udaanformse.in/udaan/home) पर रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है।
मौजूदा PMEGP/REGP/Mudra यूनिट्स के अपग्रेडेशन के लिए दूसरा लोन
लोन की यह स्कीम मौजूदा PMEGP/REGP/Mudra यूनिट्स के लिए है। इससे मौजूदा इकाई के विस्तार या अपग्रेडेशन के लिए लोन लिया जा सकता है। इस लोन का फायदा उठाने के लिए यूनिट का पिछले तीन साल में प्रॉफिट का रिकॉर्ड होना जरूरी है। इस स्कीम के तहत आंत्रप्रेन्योर्स नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल या अपनी इकाई को आधुनिक बनाने के लिए भी लोन ले सकते हैं। इस स्कीम में यूनिट को 15 फीसदी तक सब्सिडी अलाउन्स मिलता है। पहाड़ी राज्यों और NER में यह 20 फीसदी है। सर्विस सेक्टर में अपग्रेडेशन के लिए प्रोजेक्ट की मैक्सिमम कॉस्ट 25 लाख रुपये हो सकती है। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए यह 1 करोड़ रुपये है। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए भी उद्योग आधार अनिवार्य है। इसके लिए आपको PMEGP e-Portal पर अप्लिकेशन डालना होगा।
इस स्कीम के तहत टेक्नोलॉजी, स्किल, प्रोडक्ट क्वालिटी, मार्केट एक्सेस जैसे मसलों का समाधान कर MSE की ग्रोथ को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है। यहां कलस्टर का मतलब एंटरप्राइजेज के ऐसे समूह से है, जो किसी खास एरिया में स्थित होते हैं और जो एक ही तरह के प्रोडक्ट्स या सेवाएं प्रोड्यूस करते हैं।
कलस्टर के तहत आने वाले एंटरप्राइजेज की जरूरी विशेषताएं हैं:
1. प्रोडक्शन, क्वालिटी कंट्रोल और टेस्टिंग, एनर्जी कंजम्प्शन, प्रदूषण नियंत्रण आदि के मेथड्स में समानता
2. टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी/प्रैक्टिसेज के एक जैसे लेवल
3. कलस्टर के मेंबर्स के बीच कम्युनिकेशन के चैनल्स
4. कॉमन चैलेंजेज एंड ऑपर्चुनिटीज
इस स्कीम के तहत रजिस्टर्ड कलस्टर्स के लिए कई तरह के असिस्टेंस पैकेजेज उपलब्ध हैं।
इंटरनेशनल कोऑपरेशन स्कीम
यह स्कीम ऐसे योग्य स्टेट/सेंट्रल गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशंस और रजिस्टर्ड इंडस्ट्री एसोसिएशंस, सोसायटीज/ट्रस्ट्स के लिए है, जो एमएसएमई सेक्टर के प्रमोशन और डेवलपमेंट से जुड़े हैं। यह स्कीम एमएसएमई के प्रमोशन और एक्सपोर्ट्स पर फोकस करती है और उन्हें इंटरनेशनल ट्रेड फेयर और एग्जिबिशंस, बायर-सेलर मीट्स आदि में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस स्कीम के तहत डेलीगेशंस के रहने और विमान यात्रा पर होने वाले खर्च के लिए रिइम्बर्समेंट क्लेम किया जा सकता है।
रिजेनेरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (SFURTI) के लिए फंड की स्कीम
MSME के लिए उपलब्ध स्कीमों में एक SFURTI शामिल है। इस स्कीम का मकसद ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज और कारीगरों को आर्गेनाइज करना है। इन्हें कलस्टर में लाया जाता है और लंबी अवधि में उनके बने रहने और प्रतिस्पर्धा के लिए सहायती दी जाती है। इस स्कीम के तहत खादी, कॉयर, बंबू, हनी, पॉटरी, हैंडीक्राफ्ट्स आदि चीजें कवर होती हैं। स्कीम के तहत कॉमन फैसिलिटीज, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, डिजाइन इंटरवेंशन, पैकेजिंग, मार्केटिंग जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। इस स्कीम के तहत हर कलस्टर को RsProcurement and Marketing Support (PMS) स्कीम को मैक्सिमम ग्रांट मिल सकता है।
प्रोक्योरमेंट एंड मार्केटिंग सपोर्ट (PMS) स्कीम
PMS स्कीम के तहत भी एमएसएमई को फायदा मिलता है। यह स्कीम एमएसएमई को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर्स, एग्जिबिशंस, बायर-सेलर मीट्स आदि में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। इनमें वे अपने प्रोडक्टक्स और सर्विसेज को संभावित खरीदारों को शोकेस कर सकते हैं। यह स्कीम एमएसएमई को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मार्केटिंग में भी मदद करती है। इससे उनकी बाजार पहुंच और विजिबिलिटी बढ़ती है। इस स्कीम में जनरल कैटेगरी के आंत्रप्रेन्योर्स को एक सीमा तक स्पेस रेंट और एयर फेयर का रिइम्बर्समेंट भी मिलता है। SC/ST, एनईआर और पहाड़ी इलाकों के आंत्रप्रेन्योर्स एयरफेयर और स्पेस रेंट का 100 फीसदी तक क्लेम कर सकते हैं।
(अभिषेक अनेजा सीए हैं। वह इनकम टैक्स और पर्सनल फाइनेंस से जुड़े मामलों के भी एक्सपर्ट हैं)