'काम कोटि छबि स्याम सरीरा। नील कंज बारिद गंभीरा॥'
'काम कोटि छबि स्याम सरीरा। नील कंज बारिद गंभीरा॥'
अर्थात् 'उनके नीलकमल और जल से भरे हुए मेघ यानि बादलों के समान श्याम शरीर में करोड़ों कामदेवों की शोभा है।'
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा किया गया श्रीराम के बालस्वरूप का यह वर्णन आज 22 जनवरी को अयोध्या में सच होता दिखाई दिया। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के बाल विग्रह (बाल रूप) में प्राण प्रतिष्ठा (Ram Lalla Consecration) संपन्न हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के हाथों यह काज हुआ। इसके बाद रामलला की मूर्ति सबके समक्ष थी, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि तुलसीदास जी ने कुछ गलत नहीं कहा। श्याम वर्ण की मूर्ति बेहद मनमोहक है और उसे और अधिक सुंदर बनाया है मूर्ति पर सुशोभित आभूषणों ने।
रामलला की मूर्ति पर जो ज्वैलरी है, उसे हरसहायमल श्यामल ज्वैलर्स (Harsahaimal Shiamlal Jewellers) ने तैयार किया है। यह ज्वैलरी ब्रांड उत्तर प्रदेश के लखनऊ का है। इसे HSJ ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रांड 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। वर्तमान में कंपनी के डायरेक्टर मोहित आनंद और अंकुर आनंद हैं। ब्रांड के दो स्टोर लखनऊ में और एक बरेली में है। रामलला की हर एक ज्वैलरी इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (IGI) द्वारा सर्टिफाइड है। ज्वैलरी में सोने, हीरे, पन्ने, माणिक, मोती, रत्नों का इस्तेमाल हुआ है। आइए जानते हैं कि श्रीराम की मूर्ति पर कौन-कौन सी ज्वैलरी है और उसका क्या महत्व है...
मुकुट
रामलला के सिर पर सजा मुकुट पीले सोने से बना है। मुकुट का वजन लगभग 1700 ग्राम है। इसमें अन्य रत्नों के अलावा लगभग 75 कैरेट के हीरे, लगभग 135 कैरेट के जाम्बियन पन्ने और लगभग 262 कैरेट के माणिक शामिल हैं। मुकुट श्री रामलला का सबसे सुंदर श्रृंगार है। इसे इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है कि इसे केवल साढ़े 5 साल के बच्चे को पहनाना है। राम मंदिर में प्रतिष्ठित किए गए रामलला इसी उम्र के हैं। मुकुट के बीच में बना सूर्य, सूर्यवंशी लोगो है जो राम लला की वंशावली को दर्शाता है। मुकुट में मोर की थीम भी है, जो देश का राष्ट्रीय पक्षी है और हमेशा से ही राजशाही का प्रतीक रहा है। मुकुट के केंद्र में पन्ना है, जो ज्ञान का सूचक है। इस्तेमाल किए गए माणिक सूर्य (सूर्य देव) के पत्थर हैं।
मुकुट में इस्तेमाल किए गए सभी हीरे प्राकृतिक हैं और एक अरब वर्ष से अधिक पुराने हैं। ये पवित्रता और ईमानदारी का प्रतीक हैं। मुकुट में पीछे की ओर प्रभामंडल भी है, जो 22 कैरेट सोने से बना है। इसका वजन लगभग 500 ग्राम है।
तिलक
रामलला की मूर्ति के माथे पर पीले सोने से बना तिलक है। इसका वजन करीब 16 ग्राम है। इसके सेंटर में 3 कैरेट का एक गोल चमकदार प्राकृतिक हीरा है। सुंदरता बढ़ाने के लिए यह हीरा, लगभग 10 कैरेट वजन के छोटे हीरों से घिरा हुआ है। तिलक के सेंटर में इस्तेमाल किए गए माणिक, प्राकृतिक बर्मी माणिक हैं। तिलक, अजना चक्र को कवर करता है जो दोनों भौंहों के बीच स्थित होता है और इसे अंतर्ज्ञान की आंख माना जाता है।
पन्ने की अंगूठी
श्रीराम के हाथ में पन्ने की एक अंगूठी है। इसका वजन लगभग 65 ग्राम है और इसमें लगभग 4 कैरेट के हीरे और 33 कैरेट पन्ना हैं। अंगूठी के सेंटर में लगा जाम्बियन पन्ना उस जंगल की जीवंत हरियाली को दर्शाता है, जहां रामलला एक बार चले गए थे। पन्ना, अपनी हीलिंग पावर और सामंजस्यपूर्ण गुणों के लिए जाना जाता है। साथ ही यह भगवान राम के ज्ञान को रिप्रेजेंट करता है। पत्थर के चारों ओर बना घेरा, भगवान राम के जन्मस्थान की भव्यता से प्रेरित है। अंगूठी के किनारों पर डिजाइन को हाइलाइट करने के लिए माणिक का इस्तेमाल किया गया है।
माणिक की अंगूठी
माणिक की अंगूठी रामलला के बाएं हाथ के लिए बनाई गई है। इसका वजन लगभग 26 ग्राम है। इसमें हीरे और माणिक जड़े हैं।
छोटा गोल हार
भगवान की गर्दन पर सुशोभित यह हार पीले सोने से बना है। इसका वजन लगभग 500 ग्राम है। इसमें लगभग 50 कैरेट के हीरों के साथ-साथ 150 कैरेट के माणिक और 380 कैरेट के पन्ना जड़े हैं। हार भारतीय परंपरा के अनुसार बनाया गया है। इसके सेंटर में भी सूर्यवंशी लोगो है, जो माणिक और पन्नों से बने फूलों से घिरा हुआ है। साथ ही हीरे से बनी लताओं से सुसज्जित है।
पंचलड़ा
पंचलड़ा का वजन लगभग 660 ग्राम है। इसमें लगभग 80 कैरेट के हीरे, 60 कैरेट पोल्की के अलावा 550 कैरेट पन्ना है। रामलला के पंचलड़ा की डिजाइन, दंडकारण्य की हरी-भरी हरियाली और भगवान राम की अजेयता से प्रेरित है। इन्हें पन्ने और पोल्की के जरिए दर्शाया गया है। 5 धागों में से हर एक, पंच तत्व का प्रतीक है। ये धागे प्रकृति के तत्वों को भगवान राम के दिव्य गुणों के साथ जोड़ते हैं।
विजया माला
पूरी तरह से 22 कैरेट सोने से बनी विजया माला का वजन लगभग 2 किलोग्राम है। यह विजया माला, हिंदू पौराणिक कथाओं के प्रतीकों से प्रेरित है। हार में मौजूद 5 पवित्र फूल- कमल, कुंद, पारिजात, चंपा और तुलसी पंच भूत का प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ भगवान राम के सामंजस्य का प्रतीक हैं। ये हार के सेंटर में पेंडेंट का एक केंद्रीय हिस्सा हैं। पवित्रता और समय के शाश्वत चक्र का प्रतीक माने जाने वाले शंख और चक्र, भगवान राम की विजय और एक रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाते हैं। माला रामलला के चरणों तक पहुंचती है। इसकी असाधारण लंबाई, असीम भक्ति और विनम्रता का प्रतीक है।

कमरबंद
पीले सोने से बने कमरबंद का वजन लगभग 750 ग्राम है। इसमें लगभग 70 कैरेट हीरों, लगभग 850 कैरेट के माणिक और पन्ना का इस्तेमाल किया गया है। हीरे, माणिक, पन्ना और मोतियों से सजे कमरबंद की प्रेरणा हिंदू पौराणिक कथाओं के गहन प्रतीकवाद और शाही विरासत से ली गई है। प्राचीन धर्मग्रंथों में कमरबंद को राजसत्ता और दैवीय कृपा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जिसे अक्सर देवताओं और राजाओं द्वारा अपनी प्रतिष्ठा को दर्शाने के लिए पहना जाता है। कमरबंद में हीरे का इस्तेमाल अटूट शक्ति और शाश्वत गुणों का प्रतीक है। माणिक भगवान राम के साहस और जुनून को दर्शाते हैं, ज्ञान और शांति का प्रतीक पन्ना भगवान राम के ज्ञान के अनुरूप है और पवित्रता व लालित्य के प्रतीक मोती आध्यात्मिक आभा को बढ़ाते हैं। कमरबंद का पैटर्न, अयोध्या की राजसी वास्तुकला से प्रेरित है।
बाजू बंद
22 कैरेट सोने से बने बाजूबंद के जोड़े का वजन लगभग 400 ग्राम है।
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कंगन
श्री रामलला के हाथों में सुशोभित कंगन का वजन लगभग 850 ग्राम है। इनमें लगभग 100 कैरेट के हीरे और लगभग 320 कैरेट के माणिक और पन्ने जड़े हैं, जो एक जटिल अर्ध-गोल कड़े में गुंथे हुए हैं। टैसल्स का इस्तेमाल करके कंगनों की जोड़ी को और निखारा गया है।
पग खड़ुआ
पग खड़ुआ का वजन लगभग 400 ग्राम है और इसमें लगभग 55 कैरेट के हीरे और लगभग 50 कैरेट के माणिक का सुंदर काम हुआ है।
सोने की पायल
श्री रामलला के पैरों में जो पायल है, वह 22 कैरेट सोने से बनी है। इसका वजन लगभग 560 ग्राम है।
चांदी की वस्तुएं, धनुष और बाण
इसमें एक घोड़ा, एक हाथी, एक ऊंट, एक झुनझुना और एक लट्टू शामिल है। रामलला के धनुष और बाण लगभग 1 किलोग्राम 24 कैरेट शुद्ध सोने से कवर हैं।
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