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Reliance Industries को ऑयल डिमांड मजबूत रहने की उम्मीद, अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ से मांग को मिल रही मजबूती

Reliance Industries ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि मिडिल ईस्ट, चीन और अफ्रीका में रिफाइनिंग कैपेसिटी में इजाफा से सप्लाई बढ़ने की संभावना है। इससे मार्केट में बैलेंस बना रहेगा। ग्लोबल ट्रेड ने रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई की स्थितियों के बीच आगे का रास्ता निकाला है। उधर, चीन में कोरोना की महामारी को लेकर सरकार की पॉलिसी बदली है। इससे ऑयल की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है

अपडेटेड Aug 07, 2023 पर 10:52 AM
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Reliance Industries के चीफ फाइनेंस अफसर वी श्रीकांत ने कहा कि आगे हाई इनफ्लेशन, कमजोर ग्लोबल डिमांड और चीन से सप्लाई बढ़ने का असर अमेरिका और यूरोप को कंपनी के एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है।

अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ की वजह से ऑयल की मांग स्ट्रॉन्ग रहने की उम्मीद है। Reliance Industries ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की अपनी एनुअल रिपोर्ट में यह बात कही है। उसने कहा है कि मिडिल ईस्ट, चीन और अफ्रीका में रिफाइनिंग कैपेसिटी में इजाफा से सप्लाई बढ़ने की संभावना है। इससे मार्केट में बैलेंस बना रहेगा। ग्लोबल ट्रेड ने रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई की स्थितियों के बीच आगे का रास्ता निकाला है। उधर, चीन में कोरोना की महामारी को लेकर पॉलिसी में बदलाव से डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। इससे ऑयल और ऑयल प्रोडक्ट्स की कीमतों में मजबूती दिख सकती है। रिलायंस इंसडस्ट्रीज (RIL) मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी है।

उत्पादन घटने से ऊंची रहेंगी कीमतें

RIL ने कहा है, "पॉलीमर डोमेस्टिक डिमांड के मजबूत रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि ई-कॉमर्स, पैकेजिंग, ड्यूरेबल्स, ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट में अच्छी ग्रोथ दिख रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की वजह से पाइप सेक्टर की मांग भी अच्छी है।" जून तिमाही के नतीजों के बाद मीडिया से बातचीत में कंपनी ने कहा कि OPEC Plus और इसके सहयोगी देशों ने उत्पादन घटाया है, जिससे क्रूड ऑयल की कीमतें हाई बनी रहेंगी। इसका असर डिमांड पर पड़ेगा।


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अमेरिका और यूरोप को एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है असर

Reliance Industries के चीफ फाइनेंस अफसर वी श्रीकांत ने कहा कि आगे हाई इनफ्लेशन, कमजोर ग्लोबल डिमांड और चीन से सप्लाई बढ़ने का असर अमेरिका और यूरोप को कंपनी के एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर रिस्क प्वाइंट के लिहाज से देखें तो ओपेक प्लस और इसके सहयोगी देशों की तरफ से उत्पादन घटाने से कीमतें ऊंची बनी रहेंगी, जिसका असर डिमांड पर पड़ेगा। ज्यादा सप्लाई और चीन से सप्लाई बढ़ने का असर भी डिमांग पर पड़ने की उम्मीद है। इससे अमेरिका और यूरोप को हमारे निर्यात पर भी असर पड़ सकता है। अभी RIL की रिफाइनिंग कैपेसिटी 1.4 MMBPD (मिलियन मीट्रिक बैरल्स पर डे) है।

एनर्जी की कुल कंजम्प्शन में गैस की हिस्सेदारी बढ़ रही है

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा, "O2C बिजनेस बदलाव से गुजर रहा है। हम रिन्यूएबल सोर्सेज ऑफ एनर्जी और एनर्जी की न्यू टेक्नोलॉजीज की तरफ बढ़ रहे हैं। इसका मकसद खासकर हमारे पेट्रोकेमिकल्स प्रोडक्ट्स के लिए सर्कुलर इकोनॉमी के कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देना है।" सालाना रिपोर्ट में कंपनी ने यह भी कहा है कि ट्रांजिशन फ्यूल के रूप में नेचुरल गैस बड़ी भूमिका निभा सकता है। एनर्जी मिक्स में गैस की हिस्सेदारी कैलेंडर ईयर 2030 तक 6 फीसदी से बढ़कर करीब 30 फीसदी पहुंच जाने की संभावना है।

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