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Yes Bank के पूर्व एमडी राणा कपूर को राहत, SEBI के आदेश पर लगी अंतरिम रोक

बाजार नियामक सेबी ने एडिशनल टियर-1 (AT-1) बॉन्ड्स मामले में यस बैंक और इसके पूर्व एमडी राणा कपूर पर करोड़ों रुपये की पेनाल्टी लगाया है। अब इन्हें सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) से राहत मिल गई है। हालांकि यह राहत अंतरिम तौर पर ही है। जानिए AT-1 Bonds से जुड़ा क्या है यह पूरा मामला और राणा कपूर को कितनी राहत मिली है

अपडेटेड Sep 15, 2023 पर 9:04 AM
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DHFL (देवन हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में राणा कपूर (Rana Kapoor) मार्च 2020 से जेल में ही हैं।

यस बैंक (Yes Bank) के पूर्व एमडी राणा कपूर को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) से बड़ी राहत मिली है। SAT ने राणा कपूर पर बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने 2 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाने के आदेश पर अंतरिम तौर पर रोक लगाया है। सेबी ने यह पेनाल्टी यस बैंक के AT-1 Bonds की गलत तरीके से बिक्री के मामले में लगाया है। सेबी ने जुलाई में राणा कपूर को डिमांड नोटिस जारी किया था जिसमें 2 करोड़ रुपये का जुर्माना ब्याज सहित न भरने की स्थिति में उनकी गिरफ्तारी और संपत्तियों को जब्त करने की चेतावनी दी थी। सेबी ने राणा कपूर पर पिछले साल सितंबर 2022 में 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगया था। वहीं राणा की बात करें तो वह DHFL (देवन हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में मार्च 2020 से जेल में ही हैं।

राहत तो मिली लेकिन 6 हफ्ते के भीतर जमा करने हैं ₹50 लाख

SAT का मानना है कि प्राइमा फेसी (Prima Facie) यानी पहली नजर में जुर्माना लगाना कठोर और अनुचित दिख रहा है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने राणा कपूर को 6 हफ्ते के भीतर 50 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। अगर राणा कपूर यह राशि जमा कर देते हैं तो जब तक अपील लंबित है, तब तक बाकी राशि जमा कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसी मामले में ट्रिब्यूनल ने यस बैंक को भी राहत दी है। सेबी ने बैंक पर 25 करोड़ रुपये का जुर्मान लगाया था।

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क्या है AT-1 Bonds की गलत तरीके से बिक्री का मामला

सेबी ने जिस मामले में यस बैंक और राणा कपूर पर जुर्माना लगाया है, वह खुदरा निवेशकों को एटी-1 (एडिशनल टियर-1) बॉन्ड्स की बिक्री से जुड़ा हुआ है। आरोपों के मुताबिक बैंक और इसके कुछ अधिकारियों ने निवेशकों को एटी-1 बॉन्ड बेचते समय इसमें निवेश से जुड़े रिस्क के बारे में जानकारी नहीं दी थी। इन बॉन्ड्स की बिक्री 2016 से शुरू हुई थी और 2019 तक जारी थी। सेबी के आदेश के मुताबिक इन बॉन्ड्स की बिक्री से जुड़ी पूरी प्रक्रिया राणा कपूर की निगरानी में हो रही थी। वह टीम से नियमित अपडेट ले रहे थे और उन्हें बिक्री बढ़ाने के लिए लगातार निर्देश दे रहे थे और इस प्रकार वह अधिकारियों पर इसकी बिक्री बढ़ाने का दबाव बना रहे थे।

सेबी का यह भी कहना है कि इसकी बिक्री के लिए निवेशकों को गलत जानकारियां दी गईं और इसके लिए राणा कपूर जिम्मेदार थे। राणा कपूर यहीं नहीं रुके, उन्होंने प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट टीम के अधिकारियों पर भी दबाव बनाया है कि वे ऐसी योजना बनाए जिसके जरिए बैंक के ग्राहकों को एटी-1 बॉन्ड्स की बिक्री की जा सके।

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