विदेशी निवेशकों की बिकवाली और दिसंबर तिमाही में कंपनियों के फीके वित्तीय प्रदर्शन का असर इस महीने मार्केट की चाल पर दिखा। जनवरी 2023 में BSE Sensex और Nifty 50 का प्रदर्शन वैश्विक इक्विटी मार्केट की तुलना में बुरा रहा। अडानी ग्रुप की कंपनियों में बिकवाली के हालिया दबाव के साथ-साथ बैंकिंग और नए दौर की तकनीकी कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन ने निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित किया। इस महीने सेंसेक्स और निफ्टी अब तक 2 फीसदी से अधिक टूटे हैं। वहीं दूसरी तरह दुनिया के बड़े बाजारों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व से सकारात्मक उम्मीदों के चलते इस साल मजबूती लौटी है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व से उम्मीद है कि वह ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी कर सकता है। इसके चलते Dow Jones करीब 2.5 फीसदी, S&P 500 करीब 6 फीसदी, FTSE 100 करीब 4 फीसदी, CAC भी 9 फीसदी से अधिक और डीएएक्स 8 फीसदी से अधिक मजबूत हुआ है। एशियाई इंडेक्स की बात करें तो निक्केई इस साल 5 फीसदी, हैंग सेंग 12 फीसदी से अधिक और कोस्पी 6 फीसदी मजबूत हुआ है। वहीं जकार्ता कंपोजिट भी ग्रीन जोन में है।
FII की बिकवाली ने डाला घरेलू मार्केट पर दबाव
Teji Mandi के पोर्टफोलियो मैनेजर राज व्यास के मुताबिक दिसंबर तिमाही के कमजोर नतीजे और विदेशी निवेशकों की तरफ से बिकवाली के दबाव ने घरेलू मार्केट पर निगेटिव दबाव डाला। एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने इस महीने लगातार 17वें काराबोरी दिन बिकवाली की। एफआईआई ने 160 करोड़ डॉलर के शेयरों की इस साल बिक्री की है और वे दूसरे उभरते बाजारों में पैसे लगा रहे हैं। एनालिस्ट्स के मुताबिक चीन में कोविड जीरो पॉलिसी खत्म होने के बाद विदेशी निवेशकों को दूसरे बाजारो में सस्ते में निवेश का शानदार विकल्प दिख रहा है तो वे यहां से पैसे निकालकर वहां लगा रहे हैं।
कंपनियों के नतीजों ने भी डाला असर
दिसंबर 2022 तिमाही में 200 कंपनियों के नतीजों की बात करें तो इनका रेवेन्यू करीब 14 फीसदी बढ़ा है लेकिन सालाना आधार पर ऑपरेटिंग प्रॉफिट में कोई खास बदलाव नहीं है। वहीं नेट प्रॉफिट भी 5.8 फीसदी गिर गया जो गिरावट की लगातार तीसरी तिमाही रही। इसके अलावा सालाना आधार पर लगातार छठी तिमाही में एंप्लॉयी कॉस्ट बढ़ी। दिसंबर तिमाही में एंप्लॉयीज पर लागत 20 फीसदी बढ़ गई। डेप्रिशिएशन पर खर्च भी सात तिमाहियों में सबसे तेज दिसंबर तिमाही में बढ़ा। ब्याज पर खर्च भी सालाना आधार पर अक्टूबर-दिसंबर 2022 में 30 फीसदी और तिमाही आधार पर 16.5 फीसदी बढ़ गया। आईटी कंपनियों की बात करें तो इनमें एंप्लॉयीज की संख्या घट गई जो आने वाली तिमाहियों में कमजोर मांग का संकेत दे रहा है।
मार्केट को फिलहाल 1 फरवरी को अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश होने वाले बजट का इंतजार है। इसके अलावा फेडरल रिजर्व की बैठक भी उसी दिन है तो उसका भी इंतजार है। वहीं कुछ कंपनियों के दिसंबर 2022 तिमाही के नतीजे भी आने वाले हैं। रिलायंस सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड मितुल शाह के मुताबिक बाजार में तेजी का रुझान लौटने के पहले फिलहाल उनकी चाल सुस्त रहेगी। बजट में अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से जुड़ा कुछ ऐलान होता है तो इसका मार्केट की चाल पर असर दिखेगा। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक अगर टैक्स या होल्डिंग पीरियड बढ़ाया जाता है तो इसका मार्केट पर शॉर्ट टर्म इफेक्ट पड़ेगा।