भारतीय आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, जापान, लैटिन अमेरिका और दक्षिणी यूरोप जैसे बाजारों पर अधिक फोकस करने की योजना बना रही है। कंपनी उत्तरी अमेरिका में कमजोर बिजनेस से जूझ रही है। यह बात कंपनी के सीईओ के कृतिवासन ने कही है। टीसीएस ने 2020 के बाद से सबसे धीमी क्वार्टरली प्रॉफिट ग्रोथ दर्ज की है। साथ ही कंपनी के मुख्य बाजार, उत्तरी अमेरिका से रेवेन्यू कॉन्ट्रीब्यूशन में लगातार चार तिमाहियों में गिरावट देखी गई है। इसके बाद कंपनी ने और ज्यादा डायवर्सिफाई करने का प्लान बनाया है।
कृतिवासन ने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि हम जानबूझकर उत्तरी अमेरिका में अपना एक्सपोजर कम कर रहे हैं, लेकिन हम जानबूझकर अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं क्योंकि हम लैटिन अमेरिका, दक्षिणी यूरोप या जापान जैसे बाजारों में अधिक काम करना चाहते हैं।"
उत्तरी अमेरिका, इंडियन आईटी सेक्टर के लिए अहम
उत्तरी अमेरिका, 245 अरब डॉलर के भारतीय इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण रहा है। कई कंपनियां इस क्षेत्र से अपना आधे से अधिक रेवेन्यू प्राप्त करती हैं। महंगाई के दबाव और आर्थिक अनिश्चितता के बीच हाल की तिमाहियों में आईटी क्लाइंट्स ने, डिसक्रेशनरी प्रोजेक्ट्स पर खर्च करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसकी वजह से टीसीएस, भाषा और अन्य बाधाओं के बावजूद विकास के लिए अन्य बाजारों की ओर देख रही है। उदाहरण के लिए भारतीय आईटी क्षेत्र में जापान का रेवेन्यू कॉन्ट्रीब्यूशन बहुत कम है, जबकि जापान टेक्नोलॉजी पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में से एक है।
TCS का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) में शुद्ध लाभ 8.2 प्रतिशत बढ़कर 11,735 करोड़ रुपये रहा है। भारत की अगुवाई में उभरते बाजारों में दहाई अंक की मजबूत वृद्धि के कारण तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू भी 4 प्रतिशत बढ़कर 60,583 करोड़ रुपये हो गया।