फर्टिलाइजेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की जाए, ताकि यह उनके तैयार उत्पादों के बराबर हो सके। इससे कंपनियों की इनपुट कॉस्ट घटेगी और किसानों को सस्ती खाद का फायदा मिलेगा। बता दें कि जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होने वाली है।
बता दें कि, अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड, डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और मिश्रित पोषक तत्व वाले उर्वरकों यानी मिक्सड न्यूट्रिएंट फर्टिलाइजर के प्रोडक्शन के लिए जरूरी कच्चा माल हैं।
वित्त मंत्री से की मुलाकात
एफएआई के प्रतिनिधिमंडल ने 26 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड पर जीएसटी घटाने की मांग रखी। इस दल में इंडियन पोटाश लिमिटेड के एमडी पी.एस. गहलोत, कोरोमंडल इंटरनेशनल के एमडी और सीईओ एस. शंकरसुब्रमण्यन और एफएआई के महानिदेशक सुरेश कुमार चौधरी शामिल थे। उन्होंने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि आने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इस पर फैसला लिया जाए।
GST घटाने की मांग
एफएआई ने बताया कि फॉस्फोरस और पोटाश आधारित उर्वरकों पर तो सिर्फ 5% जीएसटी लगता है, लेकिन इनके उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड जैसे कच्चे माल पर 18% जीएसटी लागू है। पैकिंग सामग्री और अन्य इनपुट पर भी 5% से ज्यादा कर देना पड़ता है। संगठन ने कहा कि जीएसटी ढांचे में सब्सिडी को आपूर्ति मूल्य से अलग रखा गया है। ऐसे में आउटपुट पर लगने वाला जीएसटी, जो सब्सिडी की वजह से कम है, इनपुट पर चुकाए गए जीएसटी क्रेडिट से काफी कम बैठता है।
एफएआई ने कहा कि सब्सिडी को टैक्स के सप्लाई से अलग रखने की वजह से उर्वरक उद्योग के पास बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट जमा हो गया है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, अगर सरकार इसे रिफंड करने का निर्णय ले, तो राशि करीब 5,500 करोड़ रुपये तक हो सकती है। एफएआई का कहना है कि अप्रयुक्त क्रेडिट का यह बोझ कंपनियों की कार्यशील पूंजी पर असर डाल रहा है और समय पर कच्चा माल व तैयार उर्वरक खरीदने की उनकी क्षमता को कमजोर कर रहा है।
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