Ravindra Rao, Kotak Securities
Ravindra Rao, Kotak Securities
बीते हफ्ते कमोडिटी मार्केट में सुस्ती देखने को मिली। अगले हफ्ते आने वाले यूएस फेड के फैसले के पहले बाजार की नजरें अब यूएस डॉलर पर टिकी हुई हैं। चाइनीज इकोनॉमी को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और रूस -यूक्रेन संघर्ष ने भी कमोडिटी की कीमतों पर अपना असर दिखाया है। 1900 डॉलर की तरफ बाउंस बैंक करने के पहले सोना अपने 10 हफ्तों के निचले स्तरों पर पहुंच गया था। यूएस डॉलर में आ रही मजबूती और इंडस्ट्रियल मेटल की सुस्ती चाइनीज इकोनॉमी को लेकर चिंता पैदा कर रही है। हालांकि चीन की तरफ से इकोनॉमी को राहत देने के लिए किसी पैकेज के ऐलान की उम्मीद मेटल की कीमतों को बहुत नीचे जाने से रोकती नजर आई है। इस बीच रूस से जुड़ी सप्लाई की चिंता के कारण बीते हफ्ते कच्चे तेल और नैचुरल गैस की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली।
यूएस फेड के फैसले पर रहेगी बाजार की नजर
अब कमोडिटी बाजार की नजर 3-4 मई को होने वाली यूएस फेड की मीटिंग पर है। बाजार का अनुमान है कि यूएस फेड ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। यूएस फेड के अधिकारियों की तरफ से अब तक आई हॉकिश कमेंट्री और लगातार बढ़ती महंगाई ने ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की उम्मीद बढ़ा दी है। आम तौर पर यूएस फेड अपनी ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी करता है लेकिन ब्याज दरों को सामान्य स्तरों पर लाने के लिए इस बार दरों में ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
बाजार ने पहले से ही मान लिया है कि अब फेड की तरफ से दरों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। ऐसे में फेड की कमेंट्री से आगे की नीति का अनुमान लगाया जाएगा। इस समय यूएस फेड का जोर महंगाई को नियत्रंण में लाने पर है। ऐसे में अगले 6 महीनों में ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
कमोडिटी मार्केट चीन के इकोनॉमिक हेल्थ को लेकर परेशान
इन सब के अलावा कमोडिटी मार्केट चीन के इकोनॉमिक हेल्थ से जुड़ी चिंताओं को लेकर भी परेशान है। चीन कोरोना वायरस के नए संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है जिसके चलते उसकी इकोनॉमी में सुस्ती देखने को मिल रही है। हालांकि चीन की सरकार की तरफ से इकोनॉमी को राहत देने का आश्वासन दिया गया है जिससे बाजार को कुछ राहत मिली है। चीन की योजना इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च और हाउसिंग मार्केट को सपोर्ट देने के लिए मौद्रिक नीतियों के जरिए राहत उपाय करने की है।
रूस और यूक्रेन वॉर एक बार फिर फोकस में
इस बीच रूस और यूक्रेन वॉर एक बार फिर फोकस में आ गया है। रूबल में भुगतान करने में हिचकने की वजह से रूस ने पोलैंड (Poland) और बुल्गारिया (Bulgaria) को होने वाली गैस सप्लाई में कटौती का एलान किया है। रूस के इस कदम से साफ है कि एनर्जी की सप्लाई से जुड़ा संकट अभी कायम है। बाजार के खिलाड़ियों की नजर अब इस बात पर है कि क्या यूरोपियन यूनियन यूरोप में रूस के एनर्जी एक्सपोर्ट को रोकने के लिए कोई नया कदम उठा पाएगा या नहीं। जर्मनी ने पहले ही रूस से होने वाले क्रूड एक्सपोर्ट पर अलग-अलग चरणों में प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है।
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