गेहूं पर एक्सपोर्ट बैन के बाद अब सरकार ने गेहूं की खरीद पर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने गेहूं का प्रोक्योरमेंट टाइम बढ़ा दिया है, साथ क्वालिटी पैरामीटर में भी बड़ी ढील दी है। गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने गेहूं खरीद पर इजाफा किया है। खरीद समय बढ़ाने के साथ ही क्वालिटी मानकों में भी ढ़ील दी है।
गौरतलब है कि इस गेंहू सीजन में समय से पहले गर्मी शुरु होने और मार्च में ही हिट वेव (लू) चलने के कारण इस बार गेहूं के दाने छोटे हुए हैं। इस बीच रूस पर यूक्रेन के आक्रमण के बाद गेहूं के भाव में अंतराष्ट्रीय बाजार के साथ घरेलू बाजार में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है और एक तरह का गेहूं संकट सा पैदा होता नजर आ रहा है जिसको देखते हुए अब सरकार ने अपनी गेहूं खरीद में बदलाव करते हुए गेहूं के छोटे और टूटे दाने की खरीद लिमिट 6 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी है।
गौरतलब है कि इन छोटे और टूटे दाने की खरीद कीमत में बिना किसी कटौती के की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने गेहूं का प्रोक्योरमेंट टाइम या गेहूं की खरीदारी करने की समय सीमा बढ़ाकर 31 मई कर दी है। गेहूं के खरीद पर क्वालिटी पैरामीटर में ये छूट पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में दी गई है।
गेहूं पर बैन, गेहूं प्रोडक्ट पर नहीं
बतातें चलें कि सरकार ने गेहूं का एक्सपोर्ट रोका है लेकिन गेहूं प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। गेहूं निर्यात पर रोक का फायदा FMCG कंपनियों को मिल रहा है। गेहूं के बने हुए उत्पादों के निर्यात पर कोई रोक नहीं है। जिसके चलते पास्ता, मैकरोनी, नूडल्स, बिस्किट की डिमांड में तेजी से बढ़त होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन प्रोडक्ट्स में भारी मांग के चलते इनकी कीमतों में तेज बढ़त देखने को मिल सकती है। इस बीच भारत के गेहूं बैन मामले से ग्लोबल मार्केट में गेहूं के भाव और बढ़े है। CBOT पर गेहूं के भाव में 5.5% का जोरदार उछाल देखने को मिला है।
गेहूं एक्सपोर्ट के आंकड़े
गेहूं के एक्सपोर्ट आंकड़ों पर नजर डालें तो चालू वित्त वर्ष में 43 लाख टन एक्सपोर्ट का करार हुआ है। अप्रैल-मई के बीच भारत से 12 लाख टन गेहूं का एक्सपोर्ट हुआ है। वहीं आने वाले वक्त में 11 लाख टन गेहूं का निर्यात संभव है। बता दें कि पिछले साल 70 लाख टन गेहूं एक्सपोर्ट हुआ था। वित्त वर्ष 2021-22 के एक्सपोर्ट से 205 करोड़ डॉलर की कमाई हुई थी। पिछले साल कुल एक्सपोर्ट का 50 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश को दिया था।