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यूक्रेन पर रशियन आक्रमण के चलते बजी चेतावनी की घंटी, क्रूड की कीमतें 2% उछाल के साथ 101$ के आसपास

नाइजीरिया के पेट्रोलियम मिनिस्टर ने कहा कि OPEC+ को अपना उत्पादन बढ़ाने की कोई जरुरत नहीं है क्योकि ईरान और दूसरे वर्ल्ड पावर के बीच होने वाले संभावित डील से कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ सकती है

अपडेटेड Feb 25, 2022 पर 11:58 AM
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रूस द्वारा यूक्रेन पर जल सेना, थल सेना और वायु सेना तीनों के जरिए किए गए भयंकर अटैक के चलते यूरोप में द्वितीय युद्ध के बाद की सबसे बड़ी लड़ाई की संभावनाएं नजर आ रही हैं.

शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में कच्चे तेल की कीमतें करीब 2 डॉलर प्रति बैरल के उछाल के साथ 101 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचती नजर आई । यूक्रेन पर रशियन अटैक के चलते दुनियाभर में तेल की सप्लाई को लेकर चिंता बनी हुई है। बाजार को उम्मीद है कि अमेरिका सहित तमाम नाटो देश रूस पर एक्सपोर्ट प्रतिबंध लगा सकते हैं जिससे आगे क्रूड की सप्लाई में दिक्कतें आ सकती हैं।

गौरतलब है कि रूस कच्चे तेल का एक बड़ा एक्सपोर्टर है। शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में ब्रेंट क्रूड 1.99 डॉलर यानी 2 फीसदी की बढ़त के साथ 101.07 डॉलर प्रति बैरल पर नजर आ रहा था जबकि WTI क्रूड 1.89 डॉलर यानी 2 फीसदी की बढ़त के साथ 94.70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर नजर आ रहा था।

यूक्रेन पर रशियन अटैक की वजह से 2014 में पहली बार कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई। एक बार ब्रेंट क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल तक जाते नजर आया।


रूस द्वारा यूक्रेन पर जल सेना, थल सेना और वायु सेना तीनों के जरिए किए गए भयंकर अटैक के चलते यूरोप में द्वितीय युद्ध के बाद की सबसे बड़ी लड़ाई की संभावनाएं नजर आ रही हैं और हजारों लोग अपना घर छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे हैं।

Commonwealth Bank के एनालिस्ट विवेक धर का कहना है कि ऑयल मार्केटर ऑयल की सप्लाई से जुड़ी दिक्कतों को लेकर बहुत संवेदनशील हैं। इस समय ऑयल का स्टॉक 7 साल के अपने निचले स्तर पर है। ऐसे में अगर सप्लाई से जुड़ी और कोई दिक्कत आती हैं तो स्थितियां और बिगड़ सकती हैं।

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विवेक धर ने आगे कहा कि हालांकि बाइडेन प्रशासन ने इस तरह के संकेत दिए हैं कि वह तेल की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए अमेरिका अपने ऑयल रिजर्व से कुछ तेल रिलीज कर सकता है लेकिन इतिहास बताता है कि रिजर्व से ऑयल रिलीज करने से समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं होता इससे सिर्फ फौरी राहत मिलती है।

इस बीच नाइजीरिया के पेट्रोलियम मिनिस्टर ने कहा कि OPEC+ को अपना उत्पादन बढ़ाने की कोई जरुरत नहीं है क्योकि ईरान और दूसरे वर्ल्ड पावर के बीच होने वाले संभावित डील से कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ सकती है। बतातें चले कि अमेरिका औऱ ईरान Vienna में एक अप्रत्यक्ष न्यूक्लियर टॉक की प्रक्रिया में है। उम्मीद जताई जा रही है कि न्यूक्लियर मुद्दे पर अमेरिका- ईरान के बीच कोई समझौता हो सकता है जिससे ईरान के ऑयल एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध को हटाया जा सकता हैजिससे दुनिया में तेल की सप्लाई बढ़ सकती है।

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