Get App

Edible Oil price: देश में बढ़ाना होगा तिलहन का उत्पादन, वरना मांग होगी इंपोर्ट से पूरी और फिर देने पड़ेंगे ज्यादा दाम

Edible Oil price: प्रदीप चौधरी ने बताया कि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उत्पादन नहीं बढ़ा तो इंपोर्ट बढ़ना तय है। भारत में लोगों की आय बढ़ रही है। आय बढ़ने से खाने-पीने के तरीकों में बदलाव आया है। भारत में प्रति व्यक्ति खपत आज भी ग्लोबल औसत से कम है। 50-60% आबादी की तेल की खपत कम है। देश के घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे

Curated By: Sujata Yadavअपडेटेड Jul 25, 2025 पर 5:06 PM
Edible Oil price: देश में बढ़ाना होगा तिलहन का उत्पादन, वरना मांग होगी इंपोर्ट से पूरी और फिर देने पड़ेंगे ज्यादा दाम
सरकार ने पहले ग्रेन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया। तिलहन में आत्मनिर्भरता को तवज्जो नहीं दिया गया।

Edible Oil price:  सभी फूड आटिकल्स में जहां महंगाई कम होता दिखा है वहीं खाने के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। फूड सेक्रेटरी ने भी कहां पिछले 1 सालों में खाने के तेल में महंगाई 20-30 फीसदी बढ़ती नजर आई है। ऐसे में क्या बढ़ती कीमतें चिंता का विषय बन गई है? इसी पर सीएनबीसी-आवाज से चर्चा करते हुए जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स के MD प्रदीप चौधरी ने बताया कि 1 साल में खाने के तेल के दाम बढ़े हैं। उसका कारण है विदेशी बाजारों में दाम बढ़ना, सरकार ने पहले ड्यूटी बढ़ाई फिर घटा दी है यहीं कारण है कि दाम बढ़े हैं। लेकिन मेरा मानना है कि कीमतों को 1 साल से नहीं देखना चाहिए। बाकी खाने-पीने की चीजों के मुकाबले दाम कम बढ़े है।

आगे क्या बढ़ेंगे दाम? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रदीप चौधरी ने कहा कि आगे खाने के तेल के दाम बढ़ना तय है। बायोफ्यूल डायवर्जन के कारण दाम बढ़ेंगे। डायवर्जन के मुकाबले उत्पादन कम है। अमेरिका की नीतियों का भी कीमतों पर असर देखने को मिल रहा है। खाने के तेल के दाम कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन के करीब है। तिलहन किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है।

प्रदीप चौधरी ने बताया कि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उत्पादन नहीं बढ़ा तो इंपोर्ट बढ़ना तय है। भारत में लोगों की आय बढ़ रही है। आय बढ़ने से खाने-पीने के तरीकों में बदलाव आया है। भारत में प्रति व्यक्ति खपत आज भी ग्लोबल औसत से कम है। 50-60% आबादी की तेल की खपत कम है। देश के घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे। तिलहन किसानों को सही दाम मिलना जरूरी है। खेती में नए रिफॉर्म लाने की जरूरत है।

सरकार ने पहले ग्रेन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया। तिलहन में आत्मनिर्भरता को तवज्जो नहीं दिया गया। दुनिया में पाम का उत्पादन काफी बढ़ा है। ग्रेन इंपोर्ट करने से अच्छा है खाने के तेल का इंपोर्ट हो। ग्रेन में इंपोर्ट पर निर्भरता देश के लिए ठीक नहीं है। दुनिया में तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ा है। 30 साल पहले पाम ऑयल का उत्पादन 9 मिलियन टन था। आज पाम ऑयल का उत्पादन 75 मिलियन टन हो गया है। आगे तिलहन का उत्पादन दुनिया में शायद नहीं बढ़ेगा। अब आत्मनिर्भरता देश की जरुरत बनती जा रही है।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें