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Edible Oil Price: देश में तिलहन की नीतियों में बदलाव की जरूरत, खाने के तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कम- अतुल चतुर्वेदी

Edible Oil Price : अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि खाने के तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कम है। कीमतों में ज्यादा तेजी की भी उम्मीद नहीं है। देश में सबसे ज्यादा तिलहन सरकार के पास है। सरसों की कीमतों में तेजी आई है। सरसों के दाम दूसरे तेलों से ₹40-45/किलो ज्यादा है। सरकार को सरसों का स्टॉक बेचना चाहिए

Edited By: Sujata Yadavअपडेटेड Jul 26, 2025 पर 10:43 AM
Edible Oil Price: देश में तिलहन की नीतियों में बदलाव की जरूरत, खाने के तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कम- अतुल चतुर्वेदी
अमेरिका की नीतियों के कारण भी दाम बढ़े है। खाने के तेल का इंटरनेशनल बाजार मजबूत है। भारत में इंपोर्ट ड्यूटी को घटाया भी है।

Experts Views on Edible Oil Price : खाद्य तेल क्षेत्र में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में तेलों की महंगाई ने कमर तोड़ दी है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि यहां से खाने के तेलों की कीमतों में गिरावट ना दिखे। खाने के तेल की कीमतों और इसमें आ रहे उतार-चढ़ाव पर विस्तार से सीएनबीसी-आवाज से बात करते हुए श्री रेणुका शुगर्स के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि खाने के तेल के दाम बढ़ना तय था। ड्यूटी ज्यादा होने से दाम बढ़ना तय था। देश में खाने के तेल की खपत घटी है। भारत एक प्राइस सेंसिटिव मार्केट है। जिसका रिफलेक्शन यह है कि आज देश में खाने के तेल का इंपोर्ट बढ़ने के बजाय घटा है।

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका की नीतियों के कारण भी दाम बढ़े है। खाने के तेल का इंटरनेशनल बाजार मजबूत है। भारत में इंपोर्ट ड्यूटी को घटाया भी है। CPO और पाम ऑयल की ड्यूटी में अंतर बढ़ा है।

क्या कीमतों में उतार-चढ़ाव आएगा? इस सवाल का जवाब देते हुए अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि खाने के तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कम है। कीमतों में ज्यादा तेजी की भी उम्मीद नहीं है। देश में सबसे ज्यादा तिलहन सरकार के पास है। सरसों की कीमतों में तेजी आई है। सरसों के दाम दूसरे तेलों से ₹40-45/किलो ज्यादा है। सरकार को सरसों का स्टॉक बेचना चाहिए। स्टॉक की सप्लाई बढ़ने से दाम जरूर गिरेंगे।

त्योहारों के मांग के बीच इंपोर्ट किस तरह बनते देखते हैं? इस सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में पाम का इंपोर्ट गिरा है। कीमतों में तेजी के कारण पाम का इंपोर्ट गिरा है। आज पाम के दाम काफी गिर चुके हैं। सोया, सन ऑयल के मुकाबले पाम के दाम कम हैं। कीमतों में $100-125 का अंतर आ चुका है। दाम गिरने से पाम का इंपोर्ट दोबारा बढ़ा है। त्योहारों के लिए खरीदारी पहले ही हो चुकी है। इस महीने 15-15.5 लाख टन के करीब इंपोर्ट हुआ। पाम का इंपोर्ट फिर से 8-8.5 लाख टन के करीब है।

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