गेहूं की बढ़ती कीमतों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है । पिछले साल के मुकाबले गेहूं की मॉडल कीमतों में 4 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। जबकि आटे की मॉडल कीमतों में क़रीब 7 रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकार इस महंगाई को काबू में रखने के लिए जल्दी ही कदम उठा सकती है। पिछले साल के मुकाबले गेहूं की मॉडल कीमतों में 4 रुपए की बढ़ोतरी हुई है जिसके चलते पिछले साल 24 रुपए की गेहूं की कीमत इस साल 28 रुपए हो गई है। इसी तरह आटे की कीमतों में 7 रुपए की बढ़ोतरी के बाद पिछले साल की 29 रुपए की कीमत इस साल 36 रुपए हो गई है।
आटे की बढ़ती कीमत ने लगाया महंगाई का तड़का
आटे की बढ़ती कीमत ने लगाया महंगाई का तड़का लगा दिया है। महंगाई अपने 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस साल गेहूं का उत्पादन अनुमान से कम रहेगा। सरकार का अनुमान है कि इस साल गेहूं का उत्पादन 95 से 100 लाख मैट्रिक टन हो सकता है। इस बार गेहूं का निर्यात 10 लाख मैट्रिक टन होने का अनुमान है। महंगाई से निपटने के लिए गेहूं खरीद का सीजन खत्म होने के बाद सरकार एक्सपोर्ट के लिए पॉलिसी ला सकती है। एक्सपोर्ट का कोटा तय किया जा सकता है। साथ ही गेंहू पर स्टॉक लिमिट भी लगाई जा सकती है।
अप्रैल में गेहूं की होलसेल कीमतों में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है। मार्च और अप्रैल में दाम 5-7 फीसदी तक चढ़े हैं। खुले बाजार में गेहूं के दाम MSP से ज्यादा है। किसान अपनी उपज खुले बाजार में भेज रहे हैं। किसान सरकार को कम गेहूं बेच रहे हैं। किसान और व्यापारी गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं। समय से पहले गर्मी का फसल पर बुरा असर पड़ा है। गर्मी से कुछ राज्यों में उपज पर असर पड़ा है। सरकार ने 2021-22 फसल वर्ष के लिए गेहूं के प्रोडक्शन का अनुमान 5.7 फीसदी घटाया है। ये अनुमान 11.13 करोड़ टन से घटाकर 10.50 करोड़ टन किया गया है। बता दें कि पिछले फसल वर्ष में 10.95 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
गेहूं की कीमतों में तेजी से फ्लोर मिल्स परेशान हो गए हैं। आटे के दाम करीब 10 फीसदी बढ़ चुके हैं। मिल एसोसिएशन सरकार के सामने मांग रखी है कि आटे के स्टोरेज के नियम साफ होनें चाहिए। फ्लोर मिल्स को FCI से गेहूं नहीं मिल रहा है। मिल्स खुले बाजार से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। खुले बाजार में गेहूं की कीमतों में 15- 20 फीसदी ज्यादा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार जून में गेहूं का एक्सपोर्ट रोक सकती है।