डायबिटीज दुनियाभर में तेजी से फैल रही है। करोड़ों की तादाद में लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज से परेशान लोगों को ब्लड शुगर बढ़ जाता है। जिसे जिंदगी भर कंट्रोल करने की जरूरत रहती है। डायबिटीज किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। जिन लोगों में अत्यधिक मोटापा रहता है। फिजिकल एक्टिविटी बेहद कम रहती है। उन्हें डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है। शुरुआती दौर में लोग डायबिटीज को समझ नहीं पाते हैं। यह साइलेंट किलर बीमारी होती है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि शरीर में नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल कितना होता है और इसका हाई रेंज कितना होता है?
दरअसल, ब्लड शुगर खाली पेट और खाने के बाद चेक किया जाता है। खाने से पहले शरीर का फास्टिंग ब्लड शुगर चेक किया जाता है और खाने के बाद शुगर लेवल चेक किया जाता है। फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 60mg/dL से 100 mg/dL के बीच हो, तो इसे नॉर्मल माना जाता है। खाने के 2 घंटे बाद ब्लड शुगर लेवल 120 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए। इसे नॉर्मल माना जाता है। अगर यह 200 mg/dL से ऊपर है तो इसका मतलब है कि आपका शुगर बढ बढ़ा हुआ है। लेकिन अगर यह 300 mg/dL से ऊपर चला जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है। ऐसे में आपको फौरन डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कब हो जाते हैं डायबिटीज के मरीज?
जब फास्टिंग शुगर 125 mg/dL से ज्यादा हो जाए और पोस्ट मील शुगर 160 mg/dL या इससे ज्यादा हो जाए। तब यह डायबिटीज की बीमारी बन जाती है। डायबिटीज कंफर्म करने के लिए HbA1C टेस्ट कराया जाता है। अगर इस टेस्ट का रिजल्ट 6.5 या इससे ऊपर आए, तो डायबिटीज कंफर्म हो जाती है। ऐसे मरीजों को शुगर कंट्रोल करने की दवा लेने की जरूरत होती होती है। अगर आपकी उम्र 35 साल से ज्यादा है, तो आपको समय-समय पर HbA1C टेस्ट कराना चाहिए, ताकि सही समय पर शुगर की परेशानी का पता लगाया जा सके।
हाई ब्लड शुगर के लक्षण गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। हाई ब्लड शुगर के शुरुआती लक्षणों में जब शुगर लेवल बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है तो उसमें बहुत ज्यादा प्यास लगना, बार-बार यूरिन आना, थकान, मांसपेशियों में तेज दर्द, नजर धुंधलाना और सिरदर्द जैसे लक्षण शामिल हैं।
लो ब्लड शुगर के लक्षणों में भ्रम, गुस्सा, पसीना आना, चलने-फिरने में दिक्कत, तेज पल्स, भूख, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, बोलने में दिक्कत और मांसपेशियों में कमजोरी शामिल है।