आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग सेहत को लेकर जितना जागरूक दिखते हैं, असल में उतनी ही लापरवाही भी कर बैठते हैं—खासकर खानपान और दिनचर्या को लेकर। इसी लापरवाही का सबसे पहला असर पड़ता है हमारे शरीर के उस हिस्से पर, जो दिन-रात चुपचाप काम करता है—लिवर पर। अगर समय रहते इसका ध्यान न रखा जाए, तो यही लिवर फैटी लिवर की परेशानी का शिकार हो सकता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें लिवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे वसा से भरने लगती हैं और लिवर कमजोर होने लगता है।
सबसे खतरनाक बात यह है कि इसके शुरुआती लक्षण अक्सर नजर नहीं आते, और जब तक दिक्कत समझ आती है, तब तक लिवर को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार लाएं और लिवर की सेहत को गंभीरता से लें, वरना एक मामूली-सी अनदेखी बड़ी बीमारी का कारण बन सकती है।
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर की कोशिकाओं में जरूरत से ज्यादा वसा जमा हो जाती है। ये दो प्रकार का हो सकता है।
अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) – शराब के अत्यधिक सेवन से होता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) – ये शराब न पीने वालों में भी देखा जाता है और आज के समय में सबसे ज्यादा फैल रहा है।
मोटापा, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और खराब खान-पान इस बीमारी के मुख्य कारण बन चुके हैं।
इस बीमारी की सबसे बड़ी चालाकी यही है कि ये बहुत लंबे समय तक बिना शोर के बढ़ती रहती है। लेकिन इसके कुछ छोटे-छोटे संकेत हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
लगातार थकान और कमजोरी: अगर बिना मेहनत के भी आपको थकावट महसूस हो रही है, तो ये आपके लिवर के कमजोर पड़ने का संकेत हो सकता है।
भूख में कमी: भूख न लगना या खाने का मन न होना एक सामान्य बात लग सकती है, लेकिन ये लिवर की पाचन क्षमता पर असर का परिणाम हो सकता है।
पेट के दाहिने हिस्से में भारीपन या हल्की बेचैनी: लिवर की सूजन या फैट बढ़ने पर यह हल्का दबाव महसूस हो सकता है।
मतली या जी मिचलाना: पाचन से जुड़ी इस समस्या को भी नजरअंदाज न करें।
जब फैटी लिवर बन जाए जानलेवा
अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो फैटी लिवर धीरे-धीरे नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) में बदल सकता है, जहां लिवर की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। इसके बाद लिवर सिरोसिस, पीलिया, पेट में पानी भरना, पैरों में सूजन और यहां तक कि मानसिक भ्रम जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
फैटी लिवर की बीमारी भले ही अंदर ही अंदर बढ़ती हो, लेकिन इसके संकेत समय रहते पहचान लिए जाएं तो इससे बचा जा सकता है। जरूरत है थोड़ा सा सजग रहने की, अपनी डाइट को संतुलित करने की और नियमित जांच कराने की। क्योंकि लिवर अगर सही है, तो जिंदगी भी सही चलेगी।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।