शरीर में मौजूद सभी अंग हमारे के लिए काफी अहम होते हैं। इन सभी अंगों का अपना अलग – अलग काम होता है। यह हमें हेल्दी रहने में मदद करते हैं। पेंक्रियाज इन्हीं अंगों में से एक है, जो भोजन पचाने में मदद करने वाले एंजाइम और ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने वाले हार्मोन इंसुलिन और ग्लूकेगॉन बनाने में मदद करता है। ऐसे में जरूरी है कि सेहतमंद रहने के लिए पेंक्रियाज का खास ख्याल रखा जाए। दरअसल, कैंसर एक ऐसी बीमारी है। जिसका परमानेंट इलाज नहीं है। इस जानलेवा बीमारी से शरीर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। फिर धीरे-धीरे ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं।
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणों में मतली, सूजन, थकान, पीलिया और भूख की कमी बनी रहती है। इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी ट्रीटमेंट शामिल हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर से बचने के चांसेस कम होते हैं। इसकी वजह ये है कि फर्स्ट स्टेज में इस बीमारी का पता ही नहीं चल पाता है। जबतक पता चलता है, तब तक शरीर खोखला हो चुका होता है।
पैंक्रियाज एक महत्वपूर्ण पाचन अंग है। यह ज्यादातर आम लोगों के बीच सबसे कम जागरूकता वाला अंग है। पैंक्रियाज की कोई भी सूजन एक सामान्य स्थिति है। यह एक हल्का रूप हो सकता है। जिसके लिए सिर्फ कुछ दवाओं और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। हालांकि, इसका एक गंभीर रूप भी है, जो घातक हो सकता है और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है। पैंक्रियाटिक कैंसर भले ही पेट में होता है। लेकिन इसे स्टमक कैंसर (पेट का कैंसर) नहीं माना जा सकता है। पैंक्रियाज (अग्नाशय) पेट के निचले हिस्से के पीछे स्थित होता है। यह भोजन को पचाने में मदद करने वाले एंजाइम और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाला हार्मोन बनाता है। इस अंग की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि के कारण कैंसर की दिक्कत शुरू होती है।
शुरुआती दौर में पेंक्रियाज कैंसर की पहचान बेहद मुश्किल
हेल्थ से जुड़े जानकारों का कहना है कि पैंक्रियाज के कैंसर के लक्षण अक्सर न के बराबर होते हैं । शुरुआती चरणों में तो इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। जैसे-जैसे कैंसर अपने स्टेज बदलता है बीमारी बढ़ती है, व्यक्तियों को पेट में दर्द जैसे चेतावनी के संकेत दिखाई देने लगते हैं। पैंक्रियाज कैंसर धूम्रपान, मोटापा, उम्र, अग्नाशय की सूजन, जेनेटिक और फैमिली हिस्ट्री के कारण होता है। लक्षण दिखने पर समय रहते इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है। अगर इसका वक्त रहते इलाज कर दिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।
इस तरीकों से रखें अपने पेंक्रियाज का ध्यान
गॉल ब्लेडर की पथरी निकलवाए
पित्ताशय यानी गॉल ब्लेडर में पथरी (कोलेलिथियसिस) पेंक्रियाटाइसिस का सबसे आम कारण है। पित्ताशय की पथरी कभी-कभी बाइल डक्ट में फिसल जाती है। पेंक्रियाज डक्ट को ब्लॉक कर देती है। जिससे पेंक्रियाटाइसिस हो जाता है। ऐसे में अगर आप गॉल ब्लेडर में स्टोन के बारे में पता चले, तो तुरंत सर्जरी करके उन्हें निकलवा लें।
शराब और धूम्रपान हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। खासतौर पर यह लिवर और पैंक्रियाज पर सबसे ज्यादा बुरा असर डालती है। यही वजह है कि शराब और धूम्रपान भी पेंक्रियाटाइसिस की एक बड़ी वजह साबित होती है। ऐसे में इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए जितना हो सके शराब और स्मोकिंग से परहेज करें।