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अटल बिहारी वाजपेयी ने BJP को खत्म करने के बारे में सोच लिया था, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

साल 1984 के लोकसभा चुनावों में BJP की करारी हार हुई थी। पार्टी सिर्फ 2 सीटें जीत पाई थी। पार्टी अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी खुद ग्वालियर सीट से हार गए थे। ये चुनाव 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे। इस हार से बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व हिल गया था

Nalin Mehtaअपडेटेड Dec 25, 2024 पर 1:07 PM
अटल बिहारी वाजपेयी ने BJP को खत्म करने के बारे में सोच लिया था, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
1984 के लोकसभा चुनावों में बहुत खराब प्रदर्शन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 1985 में एक 12 सदस्यों वाला स्पेशल वर्किंग ग्रुप बनाया। ग्रुप को पार्टी के कामकाज की समीक्षा करने और कुछ बड़े सवालों का जवाब तलाशने को कहा गया।

आज बीजेपी जिस मुकाम पर है, उसमें यह यकीन करना मुश्किल है। लेकिन, यह सच है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार बीजेपी को खत्म करने के बारे में सोचा था। तब वह पार्टी के अध्यक्ष थे। दरअसल, बीजेपी की शुरुआत कांग्रेस के विकल्प के रूप में हुई थी। लेकिन, 1984 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी सिर्फ दो सीटें जीत सकी थी। खुद वाजपेयी को ग्वालियर सीट से हार का मुंह देखना पड़ा था। वह माधवराव सिंधिया से मुकाबले में हार गए थे। इसके बाद वाजपेयी ने 1985 में 12 सदस्यों वाला एक स्पेशल वर्किंग ग्रुप बनाया। ग्रुप को पार्टी के कामकाज की समीक्षा करने और कुछ बड़े सवालों का जवाब तलाश करने को कहा गया।

एक सवाल यह था कि क्या बीजेपी शुरू करने का फैसला गलत था और क्या इसे खुद को खत्म कर अपने पुराने जनसंघ के अवतार में लौट जाना चाहिए? शुरुआती दो सालों में BJP ने संगठन खड़ा करने पर फोकस किया था। जैसा कि एलके आडवाणी ने 1983 में लिखा था कि संगठन का मुख्य काम नए सदस्य बनाना, कमेटी गठित करना और पार्टी का संगठनात्मक ढांचा खड़ा करना था। इसमें पंचायत के लेकर संसद तक का स्तर शामिल था। शुरुआती दो सालों में बीजेपी के प्राथमिक सदस्यों की संख्या 22 लाख से बढ़कर 39 लाख हो गई। पार्टी ने 1983 तक 80 फीसदी जिलों में अपनी जिला कमेटी बना ली थी। सिर्फ उत्तरपूर्व अछूता था। इसके बावजूद इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनावों में BJP का सफाया हो गया था। वाजपेयी ने तब कृशनलाल शर्मा के नेतृत्व में एक वर्किंग ग्रुप बनाया। इसमें प्रमोद महाजन भी शामिल थे। ग्रुप को दो सवालों के जवाब देने थे:

1. क्या BJP की हार की वजह 1977 में जनता पार्टी में जनसंघ के विलय का फैसला और फिर 1980 में जनता पार्टी से अलग हो होना था? क्या ये दोनों फैसले गलत थे?

2. क्या BJP को फिर से पीछे जाना चाहिए और जनसंघ को दोबारा जीवित करने की कोशिश करनी चाहिए?

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