Bulldozer Justice Row: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर) को बुलडोजर कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। पीठ ने कहा कि वह यह तय नहीं कर सकती कि कौन दोषी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा। घर ढहाए जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कार्यपालक अधिकारी जज नहीं बन सकते, आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते।" शीर्ष अदालत ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया को आरोपी के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि न्याय करने का काम न्यायपालिका का है। कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती।
'सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते'
जस्टिस बीआर गवई ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सिर्फ आरोपी होने पर किसी का घर नहीं गिरा सकते। शीर्ष अदालत आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सुधारात्मक उपाय के रूप में "बुलडोजर" कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कार्यपालिका न्यायनिर्णयन की भूमिका नहीं निभा सकती। पीठ ने कहा कि केवल आरोपों के आधार पर किसी नागरिक के घर को मनमाने ढंग से ध्वस्त करना संवैधानिक कानून के सिद्धांत का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि कार्यपालिका जज बनकर किसी आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त करने का निर्णय नहीं ले सकती।
बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक दिशानिर्देश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी आरोपी या दोषी के घर को ध्वस्त कर दिया जाता है, तो उसका परिवार मुआवजे का हकदार होगा। साथ ही मनमाने ढंग से या अवैध तरीके से काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की अनुमति के बिना किए गए किसी भी ऐसे विध्वंस को मनमाना माना जाएगा। पीठ ने कहा, "कानून का शासन लोकतांत्रिक शासन की नींव है। आरोपी के अपराध के बारे में पहले से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर कोई कार्यपालिका किसी व्यक्ति के घर को सिर्फ इसलिए मनमाने ढंग से ध्वस्त करती है क्योंकि वह आरोपी है, तो यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है।"
'सुनवाई के बिना किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता'
शीर्ष अदालत ने कहा, "निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।" न्यायालय ने चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों में कार्यपालिका का अतिक्रमण मूलभूत कानूनी सिद्धांतों को बाधित करता है।
सुप्रीम कोरट् ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब अधिकारी अपने अधिकार से परे कार्य करते हैं, तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इस तरह की मनमानी कार्रवाई, विशेष रूप से न्यायिक आदेश के अभाव में कानून के शासन को कमजोर करती है।
पीठ ने कहा, "अधिकारी इस तरह से मनमाने तरीके से कार्य नहीं कर सकते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक कानून के भीतर सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, जो अपराध के आरोपी या दोषी को भी सत्ता के दुरुपयोग से बचाते हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों को संबोधित करने के लिए मुआवजा एक रास्ता हो सकता है।
बुलडोजर पर SC के दिशानिर्देश
- म्युनिसिपल नियम का पालन हो
- जवाब सुन कर आदेश पारित करें
- नोटिस की जानकारी डीएम को भी भेजें
- 3 महीने में पोर्टल में सभी नोटिसों की जानकारी डालें
- जो अधिकारी मनमाने तरीके से मकान गिराएंगे, उन्हें व्यक्तिगत हर्जाना देना होगा