हिंदुओं की कम जनसंख्या वाले 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाले में केंद्र सरकार (Central Government) ने हलफनामा दाखिल किया। इसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकारों को भी हिन्दूओं को अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय ,अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख में हिन्दू को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है।
केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय , अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग की पहचान के लिए दिशा-निर्देश दे सकते हैं।
केंद्र सरकार ने यह दलील अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका के जवाब में दी है। जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है। उपाध्याय ने अपनी अर्जी में धारा-2(एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि यह केंद्र को अकूत शक्ति देती है जो साफ तौर पर मनमाना, अतार्किक और आहत करने वाला है। याचिकाकर्ता ने देश के कई राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने की मांग की है। उनकी यह दलील है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता का ये कहना है कि यहूदी, बहाई और हिंदू धर्म के अनुयायी जो लद्दाख, मिजोरम, लद्वाद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में वास्तविक अल्पसंख्यक हैं अपनी पसंद से शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और संचालन नहीं कर सकते, गलत है।
महाराष्ट्र सरकार ने यहूदियों अल्पसंख्यक घोषित किया था
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने साल 2016 में यहूदियों (Jews) को अल्पसंख्यक घोषित किया था। केंद्र सरकार ने कहा जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख राज्य में हिन्दू, जैन समाज अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि हिंदू, यहूदी, बहाई धर्म के अनुयायी उक्त राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं। इसके साथ ही राज्य के भीतर अल्पसंख्यक के रूप में उनकी पहचान से संबंधित मामलों पर राज्य स्तर पर विचा किया जा सकता है।