Delhi water crisis: दिल्ली को पानी देने पर हिमाचल का यू-टर्न, SC ने AAP सरकार को यमुना बोर्ड जाने को कहा

Delhi water crisis: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के पास अंतरिम आधार पर भी यह तय करने की विशेषज्ञता नहीं है कि कौन सा पक्षकारों के बीच समझौता ज्ञापन का उल्लंघन करेगा या उसमें छेड़छाड़ करेगा। यह उचित है कि इसे अपर यमुना रिवर बोर्ड (UYRB)द्वारा निपटाया जाए

अपडेटेड Jun 13, 2024 पर 3:22 PM
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Delhi water crisis: जल संकट में टैंकर माफिया की भूमिका को लेकर दिल्ली सरकार आलोचना झेल रही है

Delhi water crisis: हिमाचल प्रदेश ने गुरुवार (13 जून) को सुप्रीम कोर्ट में अपने पिछले बयान से पलटी मारते हुए कहा कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए एक्स्ट्रा पानी नहीं है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को जल आपूर्ति के लिए अपर यमुना रिवर बोर्ड (UYRB) का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपना पिछला बयान वापस लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसके पास 136 क्यूसेक अतिरिक्त पानी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने जल संकट पर दिल्ली सरकार की याचिका का निपटारा करते हुए अपर यमुना रिवर बोर्ड को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द अतिरिक्त जल आपूर्ति के लिए दिल्ली सरकार के अनुरोध पर निर्णय ले। UYRB को निर्देश दिया गया है कि वह अतिरिक्त 152 क्यूसेक पानी आपूर्ति के लिए दिल्ली के अनुरोध पर विचार-विमर्श करने के लिए 14 जून को एक बैठक बुलाए।

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली सरकार को शाम 5 बजे तक अपर यमुना रिवर बोर्ड को मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति के लिए आवेदन पेश करने का निर्देश दिया। पीटीआई के मुताबिक, पीठ ने कहा कि राज्यों के बीच यमुना जल बंटवारे का मुद्दा जटिल है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि उसके पास अंतरिम आधार पर इसका फैसला करने की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है।


पीठ ने कहा, ''इस मुद्दे को 1994 के समझौता ज्ञापन में पक्षों की सहमति से गठित निकाय के विचारार्थ छोड़ दिया जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ''चूंकि UYRB पहले ही दिल्ली को मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दे चुकी है इसलिए अगर आवेदन तैयार नहीं किया गया है तो आज शाम 5 बजे तक तैयार कर लें और बोर्ड शुक्रवार को बैठक बुलाए और दिल्ली सरकार के जलापूर्ति आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय ले।''

शीर्ष अदालत, दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए हरियाणा को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था ताकि राष्ट्रीय राजधानी में पानी का संकट कम हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में टैंकर माफिया और पानी की बर्बादी पर लगाम लगाने की चेतावनी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने टैंकर माफिया को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई की और कहा कि अगर वह उनसे नहीं निपट सकती तो वह शहर की पुलिस से कार्रवाई करने को कहेगी। अदालत ने कहा कि अगर उसी पानी को टैंकरों के जरिए पहुंचाया जा सकता है तो उसे पाइपलाइन के जरिए क्यों नहीं पहुंचाया जा सकता? बेंच ने मौखिक रूप से कहा, "हर चैनल पर ऐसे वीडियों दिख रहे हैं कि टैंकर माफिया दिल्ली में काम कर रहे हैं। आपने इस संबंध में क्या उपाय किए हैं? अगर यह एक बार-बार होने वाली समस्या है तो आपने दोनों बैराजों से आने वाले पानी की बर्बादी को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए हैं? कृपया हमें बताएं कि आपने टैंकर माफियाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई या एफआईआर दर्ज की है।"

'टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि...'

राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट में टैंकर माफिया की भूमिका को लेकर आलोचना झेलने के बाद दिल्ली सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। ​​AAP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि वह हरियाणा में सक्रिय हैं। इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वह टैंकर माफिया से नहीं निपट सकती तो वह शहर की पुलिस से कहेगी कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करे।

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कोर्ट ने कहा कि अगर वही पानी टैंकरों के जरिए पहुंचाया जा सकता है तो उसे पाइपलाइन के जरिए क्यों नहीं पहुंचाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर हरियाणा से पानी लाने वाली मुनक नहर से पानी चोरी करने वाले टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा।

Akhilesh

Akhilesh

First Published: Jun 13, 2024 3:14 PM

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