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GST के टैक्स बैंड्स में अगले वित्त वर्ष भी नहीं होगी कटौती, राजस्व सचिव ने बताई सरकार की योजना

पिछले एक साल से अधिक समय से GST के नियमों के और सरल होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन अब अगले वित्त वर्ष में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है कि जीएसटी रिजीम में अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भी कोई बदलाव नहीं होगा। राजस्व सचिव का कहना है कि सरकार टैक्स बैंड्स को कम करना चाहती है लेकिन इसके लिए कोई टाइमलाइन नहीं तय किया गया है

अपडेटेड Feb 06, 2023 पर 7:02 PM
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सरकार कस्टम ड्यूटी के टैक्सेशन स्ट्रक्चर को कम कर आसान करना चाहती है। इसे अभी जीएसटी रिजीम के बाहर रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी के नेट कलेक्शन में 12 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है।

पिछले एक साल से अधिक समय से जीएसटी (GST) के नियमों के और सरल होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन अब अगले वित्त वर्ष में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स रिजीम में अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भी कोई बदलाव नहीं होगा। इसका मतलब हुआ कि इसके अगले वित्त वर्ष भी इसका टैक्स स्ट्रक्चर आसान नहीं किया जाएगा और कंज्यूमर्स को राहत के लिए लंबा इंतजार करना होगा। अभी इस समय जीएसटी में पांच टैक्स रेट्स हैं। जीएसटी सिस्टम को वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और इसकी दरें 0 फीसदी से लेकर 28 फीसदी तक हैं।

सामान्य बदलाव होते रहेंगे

दो साल पहले 2021 में सरकार टैक्स रेट्स की दो दरों को मिलाने और कुछ सामानों पर लेवी कम करने पर विचार कर रही थी। जीएसटी सिस्टम में कई टियर्स के होने के चलते लगातार आलोचना हो रही है। हालांकि अब राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है। संजय के मुताबिक छोटे-मोटे बदलाव तो होते रहेंगे लेकिन बड़े बदलाव जैसे टैक्स दरों को मिला देना जैसे फैसले अगले वित्त वर्ष 2023-24 में नहीं लिए जाएंगे।


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सरकार की क्या है योजना

राजस्व सचिव का कहना है कि सरकार टैक्स बैंड्स को कम करना चाहती है लेकिन इसके लिए कोई टाइमलाइन नहीं तय किया गया है। वहीं सरकार कस्टम ड्यूटी के टैक्सेशन स्ट्रक्चर को भी कम कर आसान करना चाहती है। इसे अभी जीएसटी रिजीम के बाहर रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी के नेट कलेक्शन में 12 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है।

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FPIs की छूट वापस लेने का प्रतिकूल असर नहीं

सरकार ने विदेशी पोर्टपोलियो निवेशकों (FPIs) को डेट सिक्योरिटीज से होने वाली ब्याज की कमाई पर 5 फीसदी की कंसेशनल टैक्स रेट को वापस ले लिया है। हालांकि राजस्व सचिव का कहना है कि इससे निवेशकों पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि कम टैक्स रेट होने पर FPIs को अपने देश में टैक्स चुकाना होगा और अगर वे यहां देश में ही अधिक टैक्स चुकाते हैं तो वे अपने यहां इसे अधिक सेटऑफ कर सकेंगे यानी कि राजस्व सचिव के मुताबिक यहां टैक्स रेट बढ़ने पर एफपीआई को कोई घाटा नहीं है। भारत ने कई देशों के साथ टैक्स ट्रीटी किया हुआ है जिसके तहत एफपीआई को यहां सरकारी सिक्योरिटीज और कॉरपोरेट और विदेशी करेंसी बॉन्ड्स से होने वाले ब्याज की कमाई पर 10 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। पहले यह 5 फीसदी ही था।

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