Get App

Electoral Bonds Case : क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड, इसे लेकर क्या विवाद है?

इलेक्टोरल बॉन्ड्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग वाली कई याचिकांए कोर्ट में फाइल की गई हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पिछले 8 साल से लंबित है। दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस मामले पर सुनवाई शुरू की है। माना जा रहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक असर 2024 में लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 01, 2023 पर 1:36 PM
Electoral Bonds Case : क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड, इसे लेकर क्या विवाद है?
इलेक्टोरल बॉन्ड्स की शुरुआत 2017 में हुई थी। इसका मकसद राजनीतिक दलों को मिलने वाले डोनेशन में पारदर्शिता लाना है। इसका इस्तेमाल 2018 से हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की एक संवैधानिक बेंच ने 31 अक्टूबर को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) मामले पर सुनवाई शुरू कर दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं फाइल की गई थीं। इस मामले पर करीब दो साल बाद सुनवाई हो रही है। सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवली, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। इससे पहले इस मामले में मार्च 2021 में सुनवाई हुई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पिछले 8 साल से लंबित है। माना जा रहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक असर 2024 में लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा। 30 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने कहा कि वोटर्स को यह जानने का अधिकार नहीं है कि किसी राजनीतिक दल को पैसा कहां से मिलता है। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

Electoral Bonds क्या हैं?

इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से कोई व्यक्ति, संस्थान या कंपनी किसी राजनीतिक दल को पैसे डोनेट कर सकता है यानी चंदे के रूप में दे सकता है। कई कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड्स उपलब्ध हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की निर्धारित शाखा से 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे जा सकते हैं। इसे खरीदने वाले की पहचान गुप्त यानी सीक्रेट रखी जाती है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की शुरुआत 2017 में हुई थी। इसका मकसद राजनीतिक दलों को मिलने वाले डोनेशन में पारदर्शिता लाना है। इसका इस्तेमाल 2018 से हो रहा है।

यह भी पढ़ें : मार्केट्स का रिटर्न इनवेस्टर्स की उम्मीद जितना नहीं होगा, जानिए Kotak के संजीव प्रसाद ने क्यों ऐसा कहा

सब समाचार

+ और भी पढ़ें