Gyanvapi Mosque Case: जिला न्यायालय के फैसले के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना शुरू करवा दी गई है। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने पूजा रुकवाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील पर कहा था कि वह पहले हाई कोर्ट जाए।
हाई कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी जिला जज के उस आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद समिति की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 'व्यास जी के तहखाने' (मस्जिद का दक्षिणी तहखाना) के अंदर 'पूजा' की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका में कोई दम नहीं है।
15 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था फैसला
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे मस्जिद के मामलों की देखभाल करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (AIMC) द्वारा दायर अपील पर चार दिन की सुनवाई के बाद 15 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सोमवार को कहा, "आज (26 फरवरी) इलाहबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दी है, इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी... अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे।"
वाराणसी की अदालत के निर्णय के खिलाफ दाखिल अपील में दलील दी गई थी कि यह वाद स्वयं में पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत पोषणीय नहीं है। साथ ही तहखाने के व्यास परिवार के स्वामित्व में होने या पूजा आदि के लिए देखरेख किए जाने की कोई चर्चा नहीं थी जैसा कि मौजूदा वाद में दावा किया गया है। अपील में यह भी आरोप था कि इस वाद को दायर करने का मुख्य उद्देश्य ज्ञानवापी मस्जिद के संचालन को लेकर कृत्रिम विवाद पैदा करना है, जहां नियमित रूप से नमाज अदा की जाती है।
वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी, 2024 को दिए अपने आदेश में हिंदू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी। अदालत ने कहा था कि जिला प्रशासन अगले सात दिनों के भीतर इस संबंध में आवश्यक व्यवस्था करे।
वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदुओं को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहख़ाने में पूजा का अधिकार दिए जाने के चंद घंटे बाद तहखाने को खोलकर उसकी साफ सफाई की गई और फिर वहां पूजा की गई। इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी, लेकिन उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था।