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झारखंड: गढ़वा जिले में 3 दर्जन हाथियों का आतंक, 50 एकड़ फसल चौपट, साड़ी-कंबल जलाकर हाथियों को भगाया

Garhwa Elephant Attack: झारखंड के गढ़वा जिले में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के कई गांवों के लोग हाथियों के तांडव से परेशान हैं। हाथियों के झुंड ने एक शख्स को पैरों तले कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। वहीं करीब 50 एकड़ की फसल को बर्बाद कर दिया है। गांव के लोग हाथियों के इस महले से बेहद परेशान हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 01, 2024 पर 12:50 PM
झारखंड: गढ़वा जिले में 3 दर्जन हाथियों का आतंक, 50 एकड़ फसल चौपट, साड़ी-कंबल जलाकर हाथियों को भगाया
Garhwa Elephant Attack: गढ़वा में जंगली हाथियों का कहर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

झारखंड के गढ़वा जिले में जंगली हाथियों का कहर बढ़ता जा रहा है। बीती रात रिहाइशी इलाकों में पहुंचे करीब 35-40 हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया। बलिगढ़ और गोबरदाहा गांव के लोग हाथी के आतंक से परेशान हैं। हाथियों का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इस झुंड ने एक शख्स को अपने पैरों तले दबाकर कुचल डाला। उसे मौत के घाट उतार दिया। वहीं गांव के 5 घरों को तहस-नहस कर डाला। घर में रखे राशन का चावल, मकई, गेहूं खा गए। हाथियों ने घरों पर जमकर तोड़फोड़ की है। इससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया है।

इस घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के वाचर बलिगढ़ गांव पहुंचे। वहां गांव के निवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। ग्रामीणों ने वाचर को खदेड़कर गांव से भगा दिया। गांव के लोगों का कहना है कि वन विभाग की ओर से पहले से ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं गांव के मुखिया ने पीड़ितों के घर जाकर हालाचाल जाना और मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।

हाथियों ने बर्बाद कर दी 50 एकड़ की फसल

एक दर्जन से ज्यादा किसानों की करीब 50 एकड़ से ज्यादा फसल को हाथियों ने रौंद कर बर्बाद कर दिया है। इससे किसानों के हाल-बेहाल हो गए हैं। गांव के रहने वाले दुर्गा सिंह, श्रवण भुइयां, रोमन भुइयां, श्रीराम भुइयां, सरयू सिंह, गिरवर सिंह, अकलू भुइयां, चंद्रमणि देवी आदि ने बताया कि रंका के ढेंगुरा जंगल से रात में करीब 10.30 बजे 35 हाथियों का झुंड गांव पहुंचा। अचानक पहुंचे हाथियों के चिंघाड़ने से ग्रामीणों ने अपने घरों से भागकर एक जगह पर एकत्रित होकर पक्के मकान के छत पर चढ़कर टीना, थाली बजाकर,टार्च जलाकर हाथियों के झुंड को भगाया। वहीं रात भर गांव के जागते रहे। ग्रामीणों की ओर से हाथियों को खदेड़ने के बाद हाथी खेतों की और लौटते समय फसलों को रौंदते हुए जंगलों की ओर निकल गए।

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