अगर आप एक बिजनेस ओनर हैं या आंत्रप्रेन्योरशिप में दिलचस्पी रखते हैं तो कुछ टर्म हैं, जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए। DIN, DSC, TAN, TIN या VAT ऐसे टर्म हैं जिनसे बिजनेस के दौरान आपको दो-चार होना पड़ेगा।
हम यहां आपको TAN और TIN के बारे में बता रहे हैं-
TaxPayer Identification Number- TIN or VAT
TIN नंबर को हीVAT नंबर या CST नंबर या Sales Tax Number भी कहते हैं। ये एक यूनीक नंबर होता है, जो हर राज्य सरकार का कॉर्मशियल टैक्स डिपार्टमेंट देता है। TIN 11 डिजिट का नंबर होता है। वैट से जुड़े ट्रांजैक्शन्स में ये नंबर देना जरूरी होता है। इस नंबर से VAT के तहत रजिस्टर्ड डीलर्स की पहचान की जाती है। साथ ही इसका इस्तेमाल दो या कई राज्यों के बीच होने वाले बिजनेस डील के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
Tax Deduction and Collection Account Number- TAN
TAN का मतलब होता है- Tax Deduction and Collection Account Number. ये 10 डिजिट का अल्फान्यूमेरिक नंबर होता है, जो ऐसी कंपनियों को अलॉट किया जाता है जो TDS या दूसरे सोर्स पर टैक्स काटते हैं। ऐसी कंपनियों को TDS या TCS रिटर्न पर अपना TAN नंबर मेंशन करना होता है। टैन मांगने पर न दिए जाने पर इसके लिए पेनल्टी चुकाना पड़ सकता है। TAN लेने के बाद हर तिमाही पर TDS रिटर्न भरना पड़ेगा।
TAN Income Tax Act, 1961 के सेक्शन 203A के तहत अनिवार्य है। मांगे जाने पर TAN प्रोवाइड न कराने पर इस कानून के 272BB सेक्शन के तहत 10,000 तक का जुर्माना लग सकता है।