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दिल्ली दंगों के मामले में शरजील इमाम ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, खारिज हुई थी जमानत याचिका

Delhi Riots 2020 Case: शरजील इमाम ने कहा है कि बिना आरोप तय किए उन्हें लंबे समय से जेल में रखना न्याय से वंचित करने जैसा है। उनकी कई जमानत याचिकाएं 2022 से पेंडिंग हैं। उनका तर्क है कि मुकदमे में हो रही देरी ही राहत मिलने का सबसे बड़ा कारण होना चाहिए

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 06, 2025 पर 10:04 PM
दिल्ली दंगों के मामले में शरजील इमाम ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, खारिज हुई थी जमानत याचिका
Sharjeel Imam : शरजील इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में शरजील इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट के ज़मानत खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इमाम को 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं हुआ है। इससे पहले 2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम के साथ उमर खालिद, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा समेत आठ अन्य आरोपियों की ज़मानत याचिका भी खारिज कर दी थी।

शरजील इमाम ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि शरजील इमाम और उमर खालिद की कथित भूमिका गंभीर दिखती है। अदालत के अनुसार, दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ भाषण देकर मुस्लिम समुदाय को बड़े पैमाने पर जुटाने की कोशिश की थी। इमाम ने अब हाईकोर्ट की 2 सितंबर की उस खंडपीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

शरजील इमाम ने कहा है कि बिना आरोप तय किए उन्हें लंबे समय से जेल में रखना न्याय से वंचित करने जैसा है। उनकी कई जमानत याचिकाएं 2022 से पेंडिंग हैं। उनका तर्क है कि मुकदमे में हो रही देरी ही राहत मिलने का सबसे बड़ा कारण होना चाहिए।

दिल्ली दंगा का मामला

फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर हुई झड़पों के बाद दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। रिपोर्टों के अनुसार, इन दंगों में करीब 50 लोगों की मौत हुई थी और सौ से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। यह केस उन आरोपों से जुड़ा है कि कई लोगों ने मिलकर हिंसा की साजिश रची थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धाराएं लगाई गई थीं।

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