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Maharashtra: परमबीर सिंह के खिलाफ उद्धव सरकार कर रही जांच, देशमुख के मंत्री रहते हुए जारी किए गए थे आदेश

परमबीर सिंह ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर अनिल देशमुख पर मुंबई पुलिस के कई अफसरों से अवैध वसूली कराने का आरोप लगाया था

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 10, 2021 पर 5:48 PM
Maharashtra: परमबीर सिंह के खिलाफ उद्धव सरकार कर रही जांच, देशमुख के मंत्री रहते हुए जारी किए गए थे आदेश

महाराष्ट्र (Maharashtra) में अब ये लड़ाई सरकार बनाम परमबीर सिंह (Param bir Singh) की होती जा रही है। जहां एक तरफ मुंबई पुलिस (Mumbai) के पूर्व कमिश्नर की तरफ से राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों की शुरुआती जांच CBI ने शुरू कर दी है, तो वहीं दूसरी तरफ अब उद्धव सरकार (MVA) ने परमबीर सिंह के खिलाफ अपनी ही एक अलग जांच शुरू कर दी है।

परमबीर सिंह ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर अनिल देशमुख पर मुंबई पुलिस के कई अफसरों से अवैध वसूली कराने का आरोप लगाया था। गृह विभाग ने जांच का आदेश 1 अप्रैल को जारी किया था, तब देशमुख मंत्री पद पर थे।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वरिष्ठ IPS अधिकारी संजय पांडे को जांच का काम सौंपा गया है। सूत्रों ने कहा कि अगर कुछ भी पाया जाता है, तो विभागीय जांच के आदेश दिए जा सकते हैं और सिंह को निलंबित किया जा सकता है।

जांच का फोकस यह पता लगाना है कि मुकेश अंबानी सुरक्षा के मामले में NIA द्वारा गिरफ्तार किए गए निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे जैसे अधिकारी परमबीर सिंह के अधीन काम करने के दौरान कैसे इस तरह के गलत काम करने लगे।

साथ ही पांडे से ये भी जांच करने को कहा गया है कि क्या सिंह ने महा विकास अगाड़ी (MVA) सरकार को राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान अंबानी मामले के बारे में सभी जरूरी जानकारी दी थी, जो इस घटना के एक हफ्ते के भीतर शुरू हुआ था।

1 अप्रैल के इस आदेश की कॉपी इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस की गई है। आदेश के अनुसार, 24 मार्च को गृह विभाग को संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर जांच का आदेश दिया गया था। रिपोर्ट में, यह कहा गया कि वाझे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) का प्रभारी बनाया गया था, जो तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) की सलाह के विरुद्ध था।

जांच के आदेश में पांडे से यह भी पता लगाने के लिए कहा कि सिंह ने सचिन वाझे की निगरानी कैसे इतना विश्वास किया, जो वो सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करता था।

आदेश में कहा गया, "वाझे को CIU के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) की सलाह के खिलाफ प्रमुख बनाया गया था और उन्हें महत्वपूर्ण मामले दिए गए थे। उन्हें सीधे कमिश्नर को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। वाझे को बाद में अंबानी मामले में गिरफ्तार किया गया था। क्या इन अधिकारियों का नियंत्रण और निगरानी का काम करने वाले सिंह अपने कर्तव्य में चूक गए?"

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