Laxmikant Mathuranath Dixit Dies: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार (22 जून) सुबह निधन हो गया। परिजनों ने बताया कि वह 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उनका दाह संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती है। आचार्य दीक्षित के द्वारा काशी के 121 ब्राह्मणों ने अयोध्या के भव्य मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे। लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है। वे सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे। दीक्षित हिंदू समुदाय के प्रति अपनी गहरी भक्ति के साथ-साथ अपने नेतृत्व के लिए भी जाने जाते थे।
उन्हें रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को संपन्न कराने के लिए वेदों की सभी शाखाओं से 121 विद्वानों की एक टीम का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। बताया जाता है कि वे 17वीं शताब्दी के काशी के प्रतिष्ठित विद्वान गागा भट्ट के वंशज थे, जिन्होंने लगभग 350 वर्ष पूर्व 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का नेतृत्व किया था।
पीएम और सीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। पीएम एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि दीक्षित का निधन समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।"
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर दुख प्रकट करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा, "काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म और साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।"
CM योगी ने कहा, "संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।" उन्होंने कहा, "प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और उनके शिष्यों तथा अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।"