महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को क्लीन चिट, बेनामी संपत्ति के आरोपों से बरी

Clean chit to Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar: इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनके परिवार के सदस्यों को बड़ी राहत दी है। उन्हें यह राहत बेनामी लेन-देन के जरिए संपत्तियों को रखने के आरोप में मिली है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करीब तीन साल पहले बेनामी मालिकाना हक के आरोप में 1,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया था

अपडेटेड Dec 07, 2024 पर 2:03 PM
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इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने अजीत पवार और अन्य के खिलाफ इनकम टैक्स के आरोपों को खारिज कर दिया।

Clean chit to Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar: इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनके परिवार के सदस्यों को बड़ी राहत दी है। उन्हें यह राहत बेनामी लेन-देन के जरिए संपत्तियों को रखने के आरोप में मिली है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करीब तीन साल पहले बेनामी मालिकाना हक के आरोप में 1,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया था। आईटी विभाग ने जरंडेश्वर शुगर मिल (Jarandewhar Sugar Mill) की भी जांच की थी, जिसे केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने MSCB घोटाला मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही जब्त कर लिया था। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने अजीत पवार और अन्य के खिलाफ इनकम टैक्स के आरोपों को खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने जरंडेह्वर शुगर मिल मामले में भी अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी।

क्या है पूरा मामला?

आरोपों के मुताबिक वर्ष 2010 में जब अजित पवार MSCB बोर्ड में थे, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने जरंडेश्वर शुगर मिल को कम कीमत पर नीलाम किया। यह मिल गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने खरीदी, जिसके लिए कुछ पैसा अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा से जुड़ी कंपनी स्पार्कलिंग सॉयल प्राइवेट लिमिटेड ने दिया था। आरोपों में यह दावा किया गया कि गुरु कमोडिटी सर्विसेज एक प्रॉक्सी मालिक के रूप में काम कर रही थी, जबकि इसका असली कंट्रोल पवार की स्पार्कलिंग सॉयल कंपनी के पास था।


वर्ष 2021 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मुंबई, पुणे, बारामती, गोवा और जयपुर में लगभग 70 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 183 करोड़ रुपये के के बेनामी लेन-देन का पता चला। डिपार्टमेंट ने कथित रूप से अजीत पवार के परिवार और उनके सहयोगियों के नियंत्रण वाली 1 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया। इनमें दिल्ली का फ्लैट, गोवा का रिजॉर्ट, महाराष्ट्र में 27 प्लॉट, नरीमन प्वाइंट पर स्थित पार्थ पवार का निर्मल बिल्डिंग ऑफिस और जरंडेश्वर शुगर मिल शामिल थीं। इसमें से अधिकतर संपत्तियां वर्ष 2016 से पहले खरीदी गई थीं।

ट्रिब्यूनल ने किस आधार पर दी राहत?

वर्ष 2022 में आयकर न्यायिक प्राधिकरण ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत जब्त किए गए जरंडेश्वर सहकारी शुगर कारखाना और तीन अन्य संपत्तियों को रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल के पास गया। मिल को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त कर लिया, जैसा कि न्यायिक प्राधिकरण द्वारा पुष्टि की गई। इनकम टैक्स मामले में पवार की कानूनी टीम ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 2016 अधिनियम के संशोधन के बाद की गई संपत्ति की जब्ती उन संपत्तियों पर लागू नहीं हो सकती जो संशोधन से पहले खरीदी गई हों, क्योंकि यह कानून भविष्य में लागू होता है, न कि पूर्व में।

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