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आखिर क्यों 1967 लोकसभा चुनाव में राजस्थान के झुंझुनू पर टिकी थी दुनिया भर की नजरें

राजस्थान के झुंझुनू के रईस राधेश्याम मुरारका का मुकाबला दूसरे धनपति राधाकृष्ण बिड़ला से था। तब बिड़ला जी विजयी हुए थे

Surendra Kishoreअपडेटेड Apr 06, 2024 पर 11:12 AM
आखिर क्यों 1967 लोकसभा चुनाव में राजस्थान के झुंझुनू पर टिकी थी दुनिया भर की नजरें
1967 के इस चुनाव के बाद राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकार बनी थी। तबतक विधान सभाओं के चुनाव भी लोक सभा के साथ ही हुआ करते थे

सन 1967 के लोक सभा चुनाव के समय राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र पर देश भर की नजरें लगी हुई थीं। वहां कांग्रेस के राधेश्याम मुरारका का मुकाबला स्वतंत्र पार्टी के राधाकृष्ण बिड़ला से था। एक फ्रेंच पत्रकार ने उसे दो एरावतों यानी हाथियों के बीच का मुकाबला बताया था। उन अत्यंत धनी हस्तियों के बीच के इस मुकाबले में स्वतंत्र पार्टी के राधाकृष्ण बिड़ला की लगभग 46,000 मतों से जीत हुई। 2019 के चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा के नरेंद्र कुमार विजयी हुए थे।

सन 2024 के चुनाव में भाजपा के शुभकरण चैधरी का मुकाबला कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला से है। लेकिन, सन 1967 में चुनाव प्रचार तो दिलचस्प ढंग से चला था। याद रहे कि सन 1962 में चीनी सैनिक असम के तेजपुर तक आकर वापस लौट गये थे।

वहीं से क्यों लौटे? अपनी चुनाव सभाओं ने श्री राधाकृष्ण ने यह दावा किया कि "अगर हमारी कम्पनी ने 1962 के आखिरी दिनों में नेफा और लद्दाख में भारतीय जवानों को ऊन और कंबल सप्लाई नहीं किये होते तो हिंदुस्तानी फौजें चीनियों का मुकाबला नहीं कर पातीं।" दो करोड़पतियों के आपस में भिड़ जाने के कारण इस क्षेत्र में देश की ही नहीं बल्कि विदेशी संवाददाताओं की भी नजरें लगी थीं। चुनाव में बिड़ला जीते और मोरारका हारे।बाद में राधा कृष्ण बिड़ला कांग्रेस में शामिल हो गये थे।

इससे पहले 1952 से लेकर लगातार 1962 के चुनाव तक राधेश्याम मोरारका कांग्रेस के टिकट पर झुंझुनू से जीतते रहे। सन 1967 में इस वी.आई.पी.चुनाव क्षेत्र के बारे में एक फ्रेंच पत्रकार ने कहा था कि ‘झुंझुनू में दो एरावतों की टक्कर है।’तब एक पत्रिका ने लिखा था,‘‘झुंझुनू में देश का सबसे कीमती चुनाव हो रहा है।सेठ बिड़ला और मुरारका दोनों ही करोड़पति हैं।लेकिन श्री मुरारका पहले से ही इस क्षेत्र में राजनीतिक काम कर रहे हैं।जबकि सेठ बिड़ला राजनीति में पहली बार कूदे हैं। उनके प्रचार के लिए पिलानी से उनके नौकर -चाकर बुलाये गये हैं।झुंझुनू के गांव -गांव और कस्बे -कस्बे में बिड़ला उदयोग की सैकड़ों जीपें और गाड़ियां दौड़ रही हैं।’

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