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मोटे अनाज का लौटा दौर, लेकिन दशकों पहले यही था हमारे पूर्वजों का भोजन

चौदहवी सदी में भारत के प्रमुख फल और अनाज कैसे और कौन-कौन थे? तब हमारे पूर्वज किन- किन अनाजों और फलों पर निर्भर थे? इस संबंध में इतिहास प्रसिद्ध विदेशी यात्री इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृतांत में तब के भारत के मुख्य अनाजों और फलों का वर्णन किया है

Surendra Kishoreअपडेटेड May 27, 2023 पर 7:46 AM
मोटे अनाज का लौटा दौर, लेकिन दशकों पहले यही था हमारे पूर्वजों का भोजन
नरेंद्र मोदी सरकार ने भी मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है

भारत सरकार ने पिछले कुछ समय से मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि मध्य युग के हमारे पूर्वज क्या-क्या खाते थे। याद रहे कि वे परंपरागत विवेक से लैस थे। पिज्जा और बर्गर जैसे आधुनिक खाने के इस युग में भोजन को लेकर हमारे पूर्वजों के परंपरागत विवेक पर गर्व करने का कारण मौजूद है। आज यह कहा जा रहा है कि मोटे अनाज न सिर्फ सेहतमंद होते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक भी।

चौदहवी सदी में भारत के प्रमुख फल और अनाज कैसे और कौन-कौन थे? तब हमारे पूर्वज किन- किन अनाजों और फलों पर निर्भर थे? इस संबंध में इतिहास प्रसिद्ध विदेशी यात्री इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृतांत में तब के भारत के मुख्य अनाजों और फलों का वर्णन किया है। अबू अब्दुला मुहम्मद उर्फ इब्न बतूता (सन 1304-1369)ने भारत के तब के आम, कटहल, जामुन,नारंगी, महुआ का वर्णन किया है। इसी तरह अनाजों के बारे में उसने लिखा है कि "यहां साल में दो फसलें होती हैं। गर्मी पड़ने पर वर्षा होती है और उस समय खरीफ की फसल बोई जाती है। यह फसल बोने के साठ दिन पीछे काटी जाती है। अन्य अनाजों के अतिरिक्त इसमें निम्नलिखित अनाज भी पैदा होते हैं-कोदो, चीना, शामाख यानी सांवक जो चीना से छोटा होता है और साधुओं, संन्यासियों तथा निर्धनों के खाने के काम आता है।"

इस तरह के अनाजों के बारे में आगे लिखा है, "एक हाथ में सूप और दूसरे हाथ में छोटी छड़ी लेकर पौधे को झाड़ने से सांवक के दाने जो बहुत ही छोटे होते हैं, सूप में गिर पड़ते हैं। धूप में सुखा कर काठ की ओखली में डाल कर कूटने से इनका छिलका अलग हो जाता है और भीतर का श्वेत दाना निकल आता है। इसकी रोटी भी बनाई जाती है और खीर भी पकाते हैं। भैंस के दूध में इसकी बनी हुई खीर रोटी से कहीं अधिक स्वादिष्ट होती है।मुझे यह खीर बहुत प्रिय थी,और मैं इसको पका कर खाया करता था।"

रबी और खरीफ के बारे में बतूता लिखता है कि "खरीफ की फसल बोने के साठ दिन पश्चात धरती में रबी की फसल का अनाज - गेहूं, चना, मसरी, जौ इत्यादि बो दिए जाते हैं।यहां की धरती अच्छी है और सदा फूलती -फलती रहती है।धान तो एक वर्ष में तीन बार बोया जाता है।इसकी उपज भी अन्य अनाजों से कहीं अधिक होती है।"

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