One Nation One Election: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी, एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ

One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रिपोर्ट कैबिनेट के सामने पेश कर दी है। सूत्रों ने बताया कि इस प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस बिल को अब जल्द ही लोकसभा में पेश किया जाएगा

अपडेटेड Sep 18, 2024 पर 3:25 PM
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One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को अब संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है

One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट से "वन नेशन वन इलेक्शन" यानी "एक राष्ट्र, एक चुनाव" के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। सूत्रों ने बताया कि मोदी कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर) को बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी पुष्टि करते हुए बुधवार को कहा कि कैबिनेट ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने यह रिपोर्ट कैबिनेट के सामने पेश की है। इसके बाद कैबिनेट ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है।

न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक अब संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। पीटीआई के मुताबिक, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गई। सूत्रों ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में यह रिपोर्ट सौंपी थी। मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट पेश करना कानून मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा है।

उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक 'क्रियान्वयन समूह' गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था।


उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, लोकतंत्र की नीव को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

क्या है समिति की सिफारिश?

समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक ज्वाइंट वोटर लिस्ट और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है। जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं।

समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी। एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।

अमित शाह ने एक दिन पहले किया था ऐलान

एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (18 सितंबर) को कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली NDA सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, "हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की व्यवस्था लागू करने की है।"

पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जोरदार वकालत की थी। तब पीएम मोदी ने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है। पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था, "देश को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए आगे आना होगा।" 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' BJP द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस साल मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की भी सिफारिश की।

इसके अलावा, विधि आयोग द्वारा सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश किए जाने की संभावना है। वह त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में एकता सरकार का प्रावधान करने की सिफारिश भी कर सकता है।

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कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था लागू करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की। उसने 18 संवैधानिक संशोधन करने की सिफारिश की जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। हालाँकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा

Akhilesh

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First Published: Sep 18, 2024 2:51 PM

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